नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 'गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिनों के लिए गिरफ्तार किए गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने के लिए' बुधवार को तीन विधेयक पेश किए, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया।
जैसे ही विधेयक सदन में पेश किया गया, विपक्षी सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए आसन के सामने आ गए। उनमें से कुछ ने विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल सहित विपक्षी सांसदों ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया और प्रस्तावित कानून को संविधान और संघवाद के खिलाफ बताया।
शाह ने इस आलोचना को खारिज कर दिया कि ये विधेयक जल्दबाजी में लाए गए हैं और कहा कि इन्हें संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाएगा, जहां विपक्ष सहित दोनों सदनों के सदस्यों को अपने सुझाव देने का अवसर मिलेगा।
जब वेणुगोपाल ने गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए शाह की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया और राजनीति में नैतिकता के उनके दावे के बारे में पूछा, तो वरिष्ठ भाजपा नेता ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था और अदालत द्वारा आरोप मुक्त किए जाने के बाद ही सरकार में शामिल हुए थे।
शाह ने कहा, 'हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों का सामना करते हुए भी संवैधानिक पदों पर बने रहें।'