देशवासियों द्वारा ऑनलाइन गेम्स पर यूपीआई के जरिए खर्च की गई राशि से संबंधित आंकड़े हैरान करने वाले हैं। लोगों ने चार महीनों में लगभग 41,000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इस देश में लाखों लोग मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके पास इलाज के लिए रुपए नहीं हैं। युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। कितने ही बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं। क्या ऐसे हालात में ऑनलाइन गेम्स पर इतनी भारी-भरकम राशि खर्च कर देना अक्लमंदी है? डिजिटल पेमेंट एक ऐसी सुविधा है, जिसने कई काम बहुत आसान कर दिए हैं। इसका इस्तेमाल व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए होना चाहिए। जो लोग तुरंत मालामाल होने के लिए ऑनलाइन गेम्स, जुआ, सट्टा आदि में धन लगाते हैं, वे अपने लिए समस्याएं मोल लेते हैं। आज सोशल मीडिया पर हजारों लोग आपबीती बताते मिल जाएंगे, जिन्होंने इस उम्मीद के साथ रुपए लगाए थे कि कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन देखते ही देखते वे लाखों रुपए गंवा बैठे। यह एक ऐसा नशा है, जो व्यक्ति को पूरी तरह गिरफ्त में ले लेता है। उसे अपने हितैषियों की बातें बुरी लगती हैं। वह सोचता है कि एक दांव की ही तो बात है, उसके बाद मैं मालामाल हो जाऊंगा! आज तक कितने लोग इन ऐप्स के जरिए मालामाल हुए हैं? अगर लाखों-करोड़ों लोगों में से दो-चार लोगों को कुछ हजार रुपए मिल भी गए तो इसमें फायदा किसका है? अगर इन ऐप्स को संचालित करने वाली कंपनियां अपने यूजर्स को रुपए बांटने लग जाएंगी तो खुद क्या कमाएंगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके बारे में युवाओं को जरूर सोचना चाहिए।
ऑनलाइन गेम्स, जुआ, सट्टा वाले ऐप्स के जाल में फंसकर कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं। हाल में ग्वालियर में एक किशोर ने ऑनलाइन गेम में 35,000 रुपए हारने के बाद ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उसे ऑनलाइन गेम की लत लग चुकी थी। इसी साल जून में राजस्थान के कोटा में एक दंपति ने ऑनलाइन सट्टेबाजी में 5 लाख रुपए का कर्ज होने की वजह से आत्महत्या कर ली थी। परिवार का मुखिया स्मार्टफोन के जरिए सट्टा लगाने का शौकीन था। मध्य प्रदेश में एक पखवाड़े में तीन ऐसे मामले काफी चर्चा में रहे, जिन्होंने ऑनलाइन गेम के दुष्प्रभावों को उजागर किया था। उनमें तीन लोगों ने रुपए गंवाने के कारण आत्महत्या कर ली थी। सितंबर 2024 में सोशल मीडिया पर एक उद्यमी के मामले ने सबका ध्यान आकर्षित किया था। उसका व्यवसाय काफी अच्छा चल रहा था। एक दिन उसे किसी ऑनलाइन सट्टा ऐप के बारे में पता चला और वह दांव लगाने लगा। उसे शुरुआत में कुछ लाभ हुआ, लेकिन जल्द ही दांव हारने लगा। उसने मालामाल होने के लालच में 60 लाख रुपए गंवा दिए थे! पहले, उसका परिवार काफी खुशहाल था। सट्टा ऐप ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। वह उस घड़ी को कोस रहा है, जब उसने अपने मोबाइल फोन में ऐप डाउनलोड किया था। कई छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी कॉलेज फीस किसी गेमिंग ऐप पर लगा दी और नुकसान होने के कारण गलत कदम उठा लिया। इस साल जनवरी में आईआईटी के एक प्रतिभाशाली छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। बाद में पता चला कि उसने अपनी फीस ऑनलाइन गेम में लगा दी थी, जहां उसे भारी नुकसान हुआ था। अगर वह ऐसे किसी ऐप के चक्कर में न पड़ता और पढ़ाई पर ध्यान देता तो भविष्य में एक अच्छा इंजीनियर बनता। ऐसे अनगिनत मामले हैं, जो बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति मोटी कमाई, मनोरंजन या किसी और मकसद के साथ इन ऐप्स का इस्तेमाल शुरू करता है तो उसे आखिर में नुकसान ही होता है। केंद्र सरकार समय-समय पर ऐसे ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई जरूर करती है, लेकिन सबसे प्रभावी कार्रवाई जनता कर सकती है। इस कार्रवाई का तरीका है- जब भी ऐसा कोई ऐप कमाई का लालच दे, तो अपने मन पर नियंत्रण रखें। अपने फोन में ऐसे ऐप को जगह ही न दें।