ब्रिटेन में अवैध तरीके से काम कर रहे कई भारतीयों समेत सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी ने एक बार फिर उन परिवारों की चिंता बढ़ा दी है, जिन्होंने विदेश की कमाई के लिए अपना सबकुछ गिरवी रख दिया था। इससे पहले, अमेरिका में बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई थी, जिसके तहत कई भारतीयों को जंजीरों में जकड़कर सैन्य विमान से स्वदेश भेजा गया था। ऐसी घटनाओं से हमारे देश की छवि पर नकारात्मक असर पड़ता है। लोग जिस तरह खतरनाक रास्तों से सफर करते हुए विदेश जाते हैं, वहां अवैध तरीके से रहते और काम करते हैं, उससे मन सदैव आशंकाओं से घिरा रहता है। क्या पता कब पकड़े जाएं या किसी मुसीबत में फंस जाएं! इन लोगों को शोषण का भी सामना करना पड़ता है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जो आपबीती बताई, उससे पता चलता है कि ये बहुत मुश्किल हालात में रहते हैं और इन्हें सरकार द्वारा तय किए गए वेतन से कम रुपए मिलते हैं। ये चाह कर भी शिकायत नहीं कर सकते, क्योंकि उस स्थिति में खुद ही फंस सकते हैं। आज अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे संपन्न देशों में अवैध प्रवासियों के खिलाफ माहौल बन रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाहर से आए लोग उनकी नौकरियों और संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं। वहां राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे में वोटबैंक की संभावना ढूंढ़ ली है। प्राय: यह तर्क दिया जाता है कि अवैध प्रवासियों में से ज्यादातर लोग बहुत गरीब हैं, उन्हें भारत में कोई रोजगार नहीं मिला, इसलिए उन्होंने विदेश का रुख किया। हालांकि जब पूछा जाता है कि अवैध तरीके से विदेश जाने के लिए कितने रुपए दिए थे, तो जवाब मिलता है- तीस लाख, पचास लाख! कई लोगों ने इससे भी ज्यादा रकम दी थी।
अगर घर में इतने रुपए थे या किसी से कर्ज लिया था, तो यहीं रहकर इससे स्वरोजगार किया जा सकता था। जिसके पास इतनी बड़ी रकम हो, उसे गरीब नहीं कहा जा सकता। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में अवैध प्रवासी क्या काम करते हैं? वे रेस्तरां, कंस्ट्रक्शन साइट्स, गैस स्टेशनों, किराना दुकानों, होम डिलीवरी, घरेलू काम, खेतों में मजदूरी आदि करते हैं। क्या इन कामों की अपने देश में कमी है? अगर कोई व्यक्ति भारत में रहकर मेहनत और समझदारी से ये काम करे तो कुछ ही वर्षों में आत्मनिर्भर बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं। फिर, विदेश जाने का मोह क्यों? ऐसा तो नहीं है कि कोई कंपनी इन लोगों को बॉर्डर पार करते ही सीईओ बना देगी! दरअसल विदेश जाकर इनकी मुसीबतें कम नहीं होतीं, बल्कि वहां रोजाना ही संघर्ष करना पड़ता है। भारतीय समाज में विदेश में नौकरी करने का बहुत महिमामंडन कर दिया गया है। फिल्मों, धारावाहिकों ने इन देशों की ऐसी छवि बना दी है कि उन्हें देखकर कई युवा इस भ्रम के शिकार हो जाते हैं कि वहां हर कोई मौज कर रहा है। हालांकि वास्तविकता इससे कहीं अलग है। अगर कोई व्यक्ति अमेरिका में दो लाख रुपए भी हर महीने बचाता है तो यह रकम बहुत कम है। वहां किराया, रोजमर्रा के खर्चे बहुत ज्यादा हैं। प्रॉपर्टी की कीमतें इतनी ऊंची हैं कि हर महीने इतनी बचत करने के बावजूद ज़िंदगी जद्दोजहद में निकल जाएगी। अगर इस बीच पकड़े गए तो सबकुछ गंवा बैठेंगे। अवैध प्रवासियों को जो नौकरियां मिलती हैं, उनमें वेतन तुलनात्मक रूप से कम होता है। वे अस्थिर होती हैं। ये लोग नकद भुगतान लेना ज्यादा पसंद करते हैं, ताकि पहचान उजागर न हो। विदेश में अपमान का सामना कर डरते हुए नौकरी करने से बेहतर है कि कोई काम सीखकर अपने देश में स्वरोजगार करें। अगर उतनी मेहनत यहां करेंगे तो कहीं ज्यादा तरक्की कर लेंगे।