कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया

विशेष गहन पुनरीक्षण को वापस लेने की मांग की

Photo: IndianNationalCongress FB Page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में संशोधन के खिलाफ मंगलवार को इंडि गठबंधन के कई सांसदों ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इनमें से कई सांसदों ने सफेद टी-शर्ट पहन रखी थी, जिस पर कथित तौर पर राज्य की मतदाता सूची में शामिल एक '124 वर्षीय मतदाता' का नाम अंकित था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन, द्रमुक के टीआर बालू, राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले, साथ ही द्रमुक और वामपंथी दलों के अन्य विपक्षी सांसद संसद भवन के मकर द्वार के पास एकत्र हुए। उन्होंने हाथों में पोस्टर लिए और नारे लगाते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास को वापस लेने की मांग की।

यह विरोध प्रदर्शन का 15वां दिन था।

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा, 'भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर वोट चोरी कर रहे हैं, जनता के अधिकार छीन रहे हैं। आज इंडि गठबंधन के सांसदों ने वोट चोरी और एसआईआर के खिलाफ आवाज बुलंद की। वोट चोरी देश के विरुद्ध एक गंभीर अपराध है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'

उसने कहा, 'बिहार में एसआईआर के बाद बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में धांधली सामने आ रही है। आपका वोट चोरी किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने विधानसभा क्षेत्र दरौंदा में एक महिला मिंता देवी की उम्र 124 साल बताई है। इंडि गठबंधन लगातार ऐसे फर्जीवाड़े को लेकर आवाज उठा रहा है। हम झुकने वाले नहीं हैं। वोट चोरी के विरुद्ध लड़ते रहेंगे।'

लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा, 'कल चुनाव आयोग कार्यालय तक इंडि गठबंधन के विरोध मार्च का पूरे देश में व्यापक प्रभाव पड़ा है। भारत में, लोग चाहते हैं कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष हो और चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र हो। इसके बाद इंडि गठबंधन के विपक्षी सांसदों ने हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए संसद के अंदर और बाहर अपना आंदोलन जारी रखा।'

राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा, 'यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह संविधान द्वारा दिए गए सबसे बड़े अधिकार की रक्षा का मामला है। भारत के इतिहास में पहली बार 300 सांसद सड़कों पर उतरे। वे चुनाव आयोग से वोट देने का अधिकार न छीनने की अपील करना चाहते थे। लेकिन सरकार ने बैरिकेड्स लगा दिए, सांसदों को हिरासत में ले लिया, पुलिस स्टेशन ले गए। यह तानाशाही नहीं तो और क्या है?'

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