बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के राज्य स्वामित्व वाले परिवहन निगमों के कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिससे राज्यभर में सार्वजनिक बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद यूनियनें हड़ताल पर रहीं तथा वेतन संशोधन सहित अन्य मांगों पर जोर दिया। बसें डिपो पर खड़ी रहीं। कुछ ही चलती नजर आईं, क्योंकि कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग नहीं लेने का फैसला लिया था।
परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बसें चल रही हैं, क्योंकि कुछ चालकों ने विद्यार्थियों की सुविधा के लिए उन्हें स्कूल पहुंचाने का काम करना जारी रखा।
बस सेवाओं में व्यवधान के कारण स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में उपस्थिति कम रही। बताया जा रहा है कि परिवहन निगमों ने स्थिति को संभालने के लिए प्रशिक्षु बस चालकों की सेवाएं ली हैं। इसके अलावा, निजी बसों को भी सरकारी बस अड्डों से चलने की अनुमति दे दी गई है।
बेंगलूरु, चिक्कमगलुरु, रायचूर, चित्रदुर्ग, हुब्बली, धारवाड़, बेलगावी, मंगलूरु, मैसूरु, तुमकूरु, हसन, मदिकेरी, शिवमोग्गा और कलबुर्गी जैसे प्रमुख शहरों में बस अड्डों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। हजारों लोग फंसे हुए थे और अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक रास्ते खोजने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
सीमित संख्या में बसें चलने के कारण यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा, जिनमें से अधिकतर बसें हड़ताल के आधिकारिक रूप से शुरू होने से पहले ही सड़कों पर आ गई थीं।
हड़ताल के परिणामस्वरूप निजी बस संचालकों और कैब एग्रीगेटर्स को कथित तौर पर काफी फायदा हुआ, क्योंकि यात्री अपने गंतव्यों तक पहुंचने के लिए उनकी ओर रुख कर रहे थे। कुछ यात्रियों ने शिकायत की कि बेंगलूरु में ऑटोरिक्शा चालक अत्यधिक किराया वसूल रहे हैं।
यह विरोध प्रदर्शन श्रमिक यूनियनों और कर्नाटक सरकार के बीच वार्ता विफल होने के बाद शुरू हुआ। श्रमिक 38 महीने के बकाया वेतन के भुगतान और 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी वेतन संशोधन की मांग कर रहे हैं।