सेना के खिलाफ टिप्पणी: उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी को फटकार लगाई

उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक भी लगाई

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी निंदा की और कहा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसा कुछ नहीं कहेंगे। 

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने लखनऊ की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मामले में शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।

पीठ ने पूछा, 'आप विपक्ष के नेता हैं। आप संसद में अपनी बात क्यों नहीं कहते, आपको सोशल मीडिया पर क्यों कहना पड़ता है?' शीर्ष न्यायालय ने आगे कहा, 'आपको कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्ज़ा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है?'

पीठ ने आगे पूछा, 'बिना किसी सबूत के आप यह बयान क्यों दे रहे हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसा कुछ नहीं कहेंगे।'

राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यदि विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। सिंघवी ने कहा, 'यदि वे ऐसी बातें नहीं कह सकते जो प्रेस में प्रकाशित हुई हैं, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते।'

शीर्ष न्यायालय ने तब कहा, ‘जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य बात है?’ सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी केवल उचित खुलासे और सूचना के दमन के बारे में चिंता जताने की बात कर रहे थे।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते राहुल गांधी को ऐसा नहीं करना चाहिए था, क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है।

इस बात से सहमति जताते हुए कि राहुल गांधी बेहतर तरीके से टिप्पणी कर सकते थे, सिंघवी ने कहा कि यह शिकायत याचिकाकर्ता को परेशान करने के प्रयास के अलावा कुछ नहीं है।

सिंघवी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला दिया और कहा कि न्यायालय द्वारा आपराधिक शिकायत का संज्ञान लेने से पहले आरोपी की पूर्व सुनवाई अनिवार्य है, जो वर्तमान मामले में नहीं किया गया। 

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