बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या और राज्य के समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा पर कृष्ण राजा सागर (केआरएस) बांध को लेकर विवाद में मैसूरु राजपरिवार, विशेष रूप से नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार के 'इतिहास को विकृत करने और विरासत का अनादर करने' का आरोप लगाया।
महादेवप्पा के हालिया दावे कि टीपू सुल्तान ने केआरएस बांध की नींव रखी थी, पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक ने 'एक्स' पर निशाना साधा और इसे 'अच्छी तरह से प्रलेखित इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास' बताया।
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने हमेशा राजपरिवार और राज्य में उनके योगदान के प्रति तिरस्कार दिखाया है। हाल में, उनके बेटे और एमएलसी यतींद्र ने दावा किया कि उनके पिता नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार से भी महान हैं। अब उनके करीबी सहयोगी और मंत्री महादेवप्पा ने यह कहकर इतिहास का अपमान किया है कि कन्नमबाड़ी (केआरएस) बांध की नींव टीपू सुल्तान ने रखी थी।'
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'केआरएस बांध, नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार का सपना था, जिसे उनके अथक प्रयासों ने साकार किया। अभिलेखों से पता चलता है कि इसकी योजना साल 1908 में तैयार की गई थी, और ब्रिटिश शासन के दौरान तमाम बाधाओं और विरोध के बावजूद, उन्होंने इसे मंज़ूरी दिला दी थी।'
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'परियोजना आधिकारिक तौर पर साल 1911 में शुरू हुई और साल 1932 में पूरी हुई। जब धन की कमी हो गई, तो नलवाड़ी की मां महारानी वाणीविलास सन्निधान (केम्पराजमन्नी) और उनकी पत्नी कृष्णविलास सन्निधान ने बांध के पूरा होने को सुनिश्चित करने के लिए अपने निजी गहने बेच दिए, और शाही धन की तुलना में जन कल्याण को अधिक महत्त्व दिया था।'
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'बलिदान की यह गाथा आज भी मैसूरु क्षेत्र के हर घर में जीवित है। इस यात्रा का हर चरण आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज है जो आज भी अक्षुण्ण है। यह बांध सर एम विश्वेश्वरैया की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और अनगिनत अन्य लोगों के परिश्रम का प्रतीक भी है। ऐसे ही जनकल्याणकारी प्रयासों के कारण महात्मा गांधी ने नलवाड़ी को 'राजर्षि' की उपाधि से सम्मानित किया और बांध का नाम उनके नाम पर रखा गया।'
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'एचसी महादेवप्पा अवारे, अगर आपके पास कोई सबूत है कि टीपू सुल्तान ने केआरएस बांध बनाने की कोशिश की थी, तो उसे सार्वजनिक करें। हम परियोजना के हर चरण का लिखित इतिहास सार्वजनिक करेंगे। टीपू की मृत्यु साल 1799 में हुई थी, और केआरएस परियोजना साल 1908 में शुरू हुई - एक सदी से भी ज़्यादा बाद।'
विजयेंद्र येडीयुरप्पा ने कहा, 'सिर्फ़ टीपू सुल्तान का महिमामंडन करने और ... वोटों को मज़बूत करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश न करें; कर्नाटक की जनता अब यह अच्छी तरह जानती है। अगर आप मैसूरु के शासकों, खासकर नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार की महान विरासत का सम्मान नहीं कर सकते, तो कम से कम उनका अपमान न करें और जनता में आक्रोश न भड़काएं।'