मुंबई/दक्षिण भारत। महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत के लगभग 17 साल बाद, मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। उसने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है।
अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता तथा केवल धारणा के आधार पर उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित ने अदालत के फैसले की सराहना की। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि बरी होना सिर्फ़ उनकी नहीं, बल्कि भगवा की जीत है, क्योंकि उनके बरी होने से 'भगवा आतंक' की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। ठाकुर ने कहा, 'भगवा की विजय हुई है।'
अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदय को रोकने के लिए 'हिंदू आतंकवाद' का सिद्धांत गढ़ा था।
अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'आतंकवाद कभी भगवा नहीं था और न ही कभी होगा।'
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि अदालत का फैसला कांग्रेस के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने पार्टी से उसके 'भगवा आतंकवाद' वाले बयान के लिए माफी मांगने की मांग की।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता।
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि पिछले 17 वर्षों से उनका जीवन बर्बाद हो गया है और भगवान उन लोगों को सजा देंगे जिन्होंने भगवा का अपमान करने की कोशिश की।