डीके शिवकुमार ने मल्लिकार्जुन खरगे की टिप्पणी पर क्या कहा?

'एक वरिष्ठ नेता का अपनी भावनाएं व्यक्त करना गलत नहीं है'

Photo: DKShivakumar.official FB Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की वर्ष 1999 में मुख्यमंत्री पद के लिए नजरअंदाज किए जाने संबंधी हालिया टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि एक वरिष्ठ नेता का अपनी भावनाएं व्यक्त करना गलत नहीं है।

हालांकि, उन्होंने टिप्पणी की कि किसी को भी अपनी भावनाओं को सार्वजनिक रूप से व्यक्त नहीं करना चाहिए।

शिवकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'अगर मल्लिकार्जुन खरगे अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं तो इसमें क्या गलत है? वे एक वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस के लिए अथक परिश्रम किया है। उन्होंने केवल अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'किसी को अपनी भावनाएं ज़रूर व्यक्त करनी चाहिएं, लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं।'

रविवार को विजयपुरा में एक कार्यक्रम में की गई खरगे की टिप्पणी ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री की लंबे समय से चली आ रही मांग पर एक नई बहस छेड़ दी।

वर्ष 1999 के विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका को याद करते हुए खरगे ने कहा, 'सीएलपी नेता के तौर पर मैंने पार्टी को (वर्ष 1999 के चुनावों से पहले) सत्ता में लाने की कोशिश की थी। पार्टी ने सरकार बनाई और एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री बने थे। वे (केपीसीसी अध्यक्ष के तौर पर) चार महीने पहले (चुनाव से) आए थे ... मेरी सारी मेहनत पानी में बह गई। मुझे लगता है कि - मैंने पांच साल मेहनत की, लेकिन जो व्यक्ति चार महीने पहले आया, उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया...।'
 
उन्होंने आगे कहा, 'मैं जो कहने की कोशिश कर रहा हूं, वह यह है कि हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें बिना लालच के काम करना जारी रखना चाहिए। अगर आप लालची हैं, तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। साथ ही आप वह नहीं कर पाएंगे जो आपके मन में है ... इन सभी चीजों से गुजरते हुए, एक ब्लॉक अध्यक्ष से, मैं आज एआईसीसी अध्यक्ष बन गया हूं। मैं पदों के पीछे नहीं गया।'

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