चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां के साहुकारपेट स्थित जैन भवन में राष्ट्रसंत कमलमुनिजी कमलेश ने शुक्रवार को अपने प्रवचन में कहा कि अनंत जन्मों के आत्मा के साथ लगे हुए कर्मों को तपस्या के माध्यम से पल भर में समाप्त किया जा सकता है। तपस्या अपने आप में रामबाण औषधि है।
उन्होंने आचार्य सुदर्शन लाल जी महाराज की 21 उपवास अभिनंदन समारोह को संबोधित करके कहा कि तपस्या से आत्मा निर्मल बनती है, शरीर निरोग होता है, विचार पवित्र बनते हैं। सभी धर्म ने तपस्या के स्वरूप को किसी ने किसी ढंग से स्वीकार किया है। महापुरुषों ने स्वयं तपस्या करके आदर्श प्रस्तुत किया है।
मुनि कमलेश ने बताया कि तपस्या करना सबसे कठिन है। उससे भी ज्यादा कठिन है भोजन पर बैठकर संयम और साधना नियंत्रण करना। संसार में भूखे मरने वालों की संख्या कम है, ज्यादा खाकर मरने वालों की संख्या ज्यादा है। भूख से ज्यादा खाना अमृत जैसा भोजन भी जहर के रूप में परिवर्तन हो जाता है।
उन्होंने कहा कि तपस्या से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है, मन में उठने वाली इच्छाओं की तरंगों पर अंकुश लगाना सबसे महान तपस्या है। जैन संत ने कहा कि आज का विज्ञान और डॉक्टर भी तपस्या की शक्ति का लोहा मान रहा है। आत्मा कुंदन बनती है, कैंसर जैसे असाध्य रोगों को तपस्या माध्यम से मुक्ति पाई जा सकती है।
प्राज्ञ जैन संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता पारस लुणावत, मानक चंद खाबिया, नवीन बोहरा, विजय तातेड, सुभाष चंद चौरड़िया ने 21 गौ माता को अभय दान देने का संकल्प लिया। संघ के महामंत्री डॉ. संजय पिंचा ने संचालन किया।