अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के सैन्य टकराव के बारे में जिस तरह बयान दे रहे हैं, उससे ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि उन्होंने अपने पद की प्रतिष्ठा को पलीता लगाने का दृढ़ निश्चय कर लिया है। खुद को 'शांति पुरुष' के तौर पर प्रचारित करने की उनकी सनक बढ़ती ही जा रही है। बेहतर होगा कि कोई संस्था उन्हें ऐसी उपाधि देकर संतुष्ट कर दे, अन्यथा अमेरिकी राष्ट्रपति का बड़बोलापन नई ऊंचाई को छू लेगा, जो पहले ही बेलगाम हो चुका है। ट्रंप पांच विमानों के मार गिराए जाने का दावा करते हैं। इससे पहले, वे कह चुके हैं कि उन्होंने हस्तक्षेप कर सैन्य टकराव रुकवाया था। वे इस दावे को दोहराते रहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जब से पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात की है, उन्होंने विचित्र बयानों की झड़ी लगा दी है। संगति का असर पड़ता ही है। ट्रंप ने जिन पांच विमानों के बारे में दावा किया है, वे निश्चित रूप से पाकिस्तान के ही होंगे। भारत के सभी पायलट सुरक्षित हैं, जबकि पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोनों को हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने तबाह कर दिया था। पाकिस्तानी लड़ाकू विमान भी उसकी चपेट में आए होंगे। क्या ऐसी बयानबाजी के जरिए ट्रंप अपने 'मित्र' मुनीर को यह चेतावनी देना चाहते हैं कि मेरी 'हां में हां' मिलाते रहें, अन्यथा मैं आपकी पोल खोल दूंगा, जिससे फील्ड मार्शल की उपाधि धरी की धरी रह जाएगी? ट्रंप पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का जिक्र कर क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या भारत को धमकी दे रहे हैं? जहां तक पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का सवाल है तो उनकी ताकत हम कारगिल युद्ध में आजमा चुके हैं।
इस पड़ोसी देश के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने ऐसी धमकी दी थी, लेकिन भारत ने अपना सैन्य अभियान जारी रखा और पाकिस्तानी घुसपैठियों का खात्मा किया था। कई घुसपैठिए तो जान बचाने के लिए उल्टे पांव भागे थे। आज डोनाल्ड ट्रंप परमाणु हथियारों के नाम पर कोई दबाव बनाना चाहते हैं तो उन घुसपैठियों से ही एक बार पूछ लें कि उनकी कैसी दुर्गति हुई थी? ट्रंप अपने 'मित्र' मुनीर से ही पूछ लें। वे उन दिनों मेजर या लेफ्टिनेंट कर्नल रहे होंगे। परमाणु हथियारों की धमकियां भारत के सामने नहीं चलेंगी। पाकिस्तान में इतनी हिम्मत नहीं कि वह भारत पर परमाणु हमला कर सके, क्योंकि वह जानता है कि उसके बाद भारत की प्रतिक्रिया कितनी भयानक होगी! पाक को इतना मौका ही क्यों मिलेगा? क्या उसके परमाणु ठिकानों पर भारत के उपग्रहों की नजर नहीं जाएगी? क्या उसकी मिसाइलों की सूचना दिल्ली को तुरंत नहीं मिल जाएगी? ये पाकिस्तानी जनरल पैसा कमाने और प्रॉपर्टी बनाने में व्यस्त हैं। क्या ये चाहेंगे कि इनके मौज-शौक एक ही झटके में नष्ट हो जाएं? कभी नहीं। भारत में कुछ लोग ट्रंप के बेबुनियाद बयानों को गंभीरता से ले रहे हैं। उन्हें इसके बजाय पाकिस्तानी जनरलों की मानसिकता को समझना चाहिए। ये न तो भारत के साथ पूरी तरह शांति चाहते हैं और न बड़ा युद्ध चाहते हैं, क्योंकि दोनों ही इनके अस्तित्व के लिए खतरा हैं। अगर शांति स्थापित हो गई तो पाकिस्तान को इतनी बड़ी फौज की जरूरत ही नहीं रहेगी। इसी तरह, अगर बड़ा युद्ध हो गया तो पाकिस्तान को भारी नुकसान होगा। वर्ष 1971 की यादें पाकिस्तानी जनरलों को आज भी डराती हैं। ये भारत के साथ हमेशा इतना टकराव बनाकर चलेंगे कि उसकी आंच इनके ऐशो-आराम तक न पहुंचे। डोनाल्ड ट्रंप का दु:ख यह है कि मुनीर झूठ बोलकर फील्ड मार्शल बन गए, उनके कंधों पर सितारे बढ़ गए, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जहां पहले थे, आज भी वहीं हैं।