जैन एकता की मिसाल बना गुड़ियात्तम

'साधु आपके द्वार पर भगवान का संदेश लेकर आते हैं'

मुनि रश्मि कुमारजी ने कहा कि मेरा यह चातुर्मास युवाओं के लिए है

चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां तमिलनाडु की गुड़ियात्तम में एक ही मंच पर एक साथ दिगंबर श्वेतांबर संप्रदाय के साधु एवं हिंदू परंपरा के अनेक को साधु विराजित थे। जो सभी जैन एकता की मिसाल हैं। 

इस अवसर पर दिगंबर जैन आचार्य श्री प्रज्ञा सागरजी, महामुनिराज एवं जगद्गुरु कर्मयोगीशशि श्री चारु कीर्ति भट्टारक महास्वामी जी के शिष्य विचार पट्ट भट्टारक श्री प्रमेय सागर स्वामी जीने अपनी बात रखते हुए कहा कि कुछ संदेश बोलकर कुछ संदेश लिखकर दिए जाते हैं लेकिन कुछ संदेश दिखा कर दिए जाने चाहिए।

जब दो अलग-अलग संप्रदाय के साधु प्रेम और वात्सलय से मिलते हैं तो समाज में एकता का संदेश जीवंत हो जाता है। चातुर्मास के दौरान साधु नगर में 4 महीने आपको सद्ज्ञान देने आते हैं कि हमें जीवन कैसे जीना है धर्म के साथ कैसे हमें आगे बढ़ाना है। हमें किस तरह से चतुराई के साथ सफलता को प्राप्त करना है। पुण्य को प्राप्त करना है। इसलिए तो साल भर के इन चार महीना को चतुर मास कहा है। 

साधु आपके द्वार पर भगवान का संदेश लेकर आते हैं, यह आपके ऊपर है कि आप कितना ग्रहण करते हमारे पंथ अलग-अलग हो सकते हैं, हमारी आमनाएं भले अलग हो लेकिन हमारे ईश्वर, ईश्वर का नाम और णमोकार मंत्र वह तो एक ही है जब हम सब जैन बनकर आगे बढ़ेंगे तो पूरे देश में नहीं पूरी दुनिया में जैन समाज का वैभव जयवंत होगा। जैन समाज की ताकत पूरी दुनिया देख सकेगी।

गुड़ियात्तम नगर में श्वेतांबर तेरापंथ संप्रदाय के आचार्य महाश्रमण के शिष्य रश्मि कुमार मुनि एवं श्री प्रियांशु कुमार मुनि म. सा. के चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश के अवसर पर श्री क्षेत्र कनक गिरी के स्वस्ति श्री भुवन कीर्ति भट्टारक स्वामी जी एवं भट्टारक चिंतामणि धवल कीर्ति महा स्वामी जी श्री क्षेत्र अरिहंत गिरी एवं ओंकार आश्रम बेंगलूरु के स्वामी जी सहित विचार पट्ट भट्टारक श्री प्रमेयसागर स्वामी जी ने तथा अन्य साधु संतों ने एवं तेरापंथ, मूर्ति पूजक, ओसवाल एवं अन्य पंथ ने श्रद्धालुओं ने मुनिद्वय की आगवानी की।

मुनि रश्मि कुमार जी ने कहा कि मेरा यह चातुर्मास युवाओं के लिए है। मैं युवाओं को जैन धर्म से जोड़ना चाहता हूं ताकि यह आगे बढ़कर इसे और आगे तक ले जा सके। बच्चों और युवाओं को संस्कार देने के लिए हम मंत्र दीक्षा देंगे ताकि वह अपने संस्कार और अपने धर्म दोनों से जुड़े। नैतिक शिक्षा के साथ-साथ जैन धर्म के मौलिक संस्कारों को भी सीखना आवश्यक है। 

इस चातुर्मास में मैं अपने साथी मुनि प्रियांशु कुमार जो कि स्वयं एक युवा है उन्हें देखकर युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिए। कार्यक्रम में विधायक अमलु  भी उपस्थित थे। सभी संतों का अभिनंदन किया गया।

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