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कार्यकाल को लेकर सिद्दरामय्या का 'बार-बार छाती ठोकना' कांग्रेस आलाकमान की उपेक्षा: आर अशोक

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के कयास जारी हैं

कार्यकाल को लेकर सिद्दरामय्या का 'बार-बार छाती ठोकना' कांग्रेस आलाकमान की उपेक्षा: आर अशोक
Photo: RAshokaBJP FB Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भाजपा नेता आर अशोक ने गुरुवार को कहा कि कथित 'सत्ता-साझाकरण समझौते' के बावजूद मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या द्वारा कार्यकाल पूरा करने के बारे में 'बार-बार छाती ठोकना' कांग्रेस आलाकमान को सीधे तौर पर झुठलाने से कम नहीं है।

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि जब एक मौजूदा मुख्यमंत्री अपने पद के स्थायी होने पर बार-बार जोर देते हैं और सुविधाजनक रूप से पार्टी की आंतरिक प्रतिबद्धताओं की अनदेखी करते हैं, तो 'यह विश्वास नहीं, बल्कि अवज्ञा है।'

सत्तारूढ़ कांग्रेस में इस साल के आखिर में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सिद्दरामय्या ने बुधवार को कहा था कि वे पूरे पांच साल तक पद पर बने रहेंगे।

अशोक ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में पूछा, '(कांग्रेस) आलाकमान की इच्छा का क्या हुआ? क्या यह कर्नाटक में रबर स्टैंप बनकर रह गई है? या सिद्दरामय्या ने पार्टी अनुशासन से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी है?'

अशोक ने कहा, 'सत्ता-साझाकरण समझौते को दरकिनार करके और साहसपूर्वक यह कहकर कि इसमें संदेह क्यों होना चाहिए, वे न केवल कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को कमतर आंक रहे हैं, बल्कि सार्वजनिक रूप से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के अधिकार को भी कम कर रहे हैं।'

खरगे ने सोमवार को कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन जैसे मामलों पर निर्णय लेना पार्टी आलाकमान पर निर्भर है। अशोक ने आगे कहा कि यदि कांग्रेस आलाकमान के पास कोई वास्तविक नियंत्रण होता तो वे अपने ही मुख्यमंत्री को आंतरिक व्यवस्था का इतनी बेशर्मी से उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देते। फिर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी का फैसला नेतृत्व और वफादारी से नहीं बल्कि लॉटरी और भाग्य से होता हो।

अशोक ने कहा कि अब सवाल यह नहीं है कि सिद्दरामय्या अपना कार्यकाल पूरा करेंगे या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या कांग्रेस आलाकमान में खुद को साबित करने का साहस है।

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