चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां के केएलपी श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन संघ में राष्ट्रसंत कमल मुनिजी ‘कमलेश’ ने प्रवचन में कहा कि हिंसा करने वाले को पापी कहलाता है, परंतु किसी के साथ किए गए विश्वास को तोड़कर विश्वास घात करना महापापी के रूप में माना जाता है।
उन्होंने कहा कि विश्वास बनाए रखने के लिए सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार होता है, वह सच्चा धार्मिक बनता है। किसी को धोखा देना उसका विश्वास तोड़ना, उसकी पीठ में छुरा भोकने के समान है। वह हमेशा के लिए जनता की निगाहों से गिर जाता है।
मुनि कमलेश ने बताया कि जिसने विश्वास खो दिया वह जिंदा भी मुर्दे के समान है। ऐसे व्यक्ति को किसी भी धर्म में प्रवेश नहीं है, धार्मिक कहलाने का अधिकार भी नहीं है। संत ने कहा कि विश्वास सबसे बड़ा धर्म, पूजा, उपासना, और भगवान है। खोया हुआ धन वापस प्राप्त किया जा सकता है परंतु खोया हुआ विश्वास वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
जैन संत ने कहा कि विश्वास सबसे बड़ी धन और संपत्ति है, जो कभी समाप्त नहीं होती, विश्वास निभाने वाला दुर्गति में नहीं जाता है, विश्वास तोड़ने वाला धार्मिक कहलाने वाला भी दुर्गति में जाता है।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ हनुमंत नगर बेंगलूरु के मार्गदर्शक कल्याण सिंह बुरड, अध्यक्ष गौतम चंद सिंघवी, उपाध्यक्ष हुक्मीचंद बाफना, उपाध्यक्ष मंत्री सुरेश धोका, नेमीचंद मांगीलाल बोहरा, सुनील बोहरा, महावीर बुभकिया आदि प्रतिनिधि मंडल 2026 का चातुर्मास की विनती लेकर राष्ट्रसंत की सेवा में उपस्थित हुआ।