नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के समक्ष अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आप सब इस समय योग की ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की स्मृतियों से भरे होंगे। इस बार 21 जून को दुनिया के करोड़ों लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल पहले इसका शुभारंभ हुआ और यह सिलसिला हर साल पहले से भी ज्यादा भव्य बनता जा रहा है। यह इस बात का भी संकेत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा का फिर से शुभारंभ हुआ है। कैलास मानसरोवर यानी भगवान शिव का धाम। हिन्दू, बौद्ध, जैन, हर परंपरा में कैलास को श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 3 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है और सावन का पवित्र महीना भी कुछ ही दिन दूर है। अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी देखी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' यानी डब्ल्यूएचओ ने भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित कर दिया है। यह उन लाखों लोगों की मेहनत का फल है, जिन्होंने बिना थके, बिना रुके, इस बीमारी से लड़ाई लड़ी। यह सफलता हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की बड़ी अहम रिपोर्ट आई है। इसमें कहा गया है कि भारत की 64 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को अब कोई-न-कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ जरूर मिल रहा है। सामाजिक सुरक्षा - ये दुनिया की सबसे बड़ी कवरेज में से एक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल लगाने वालों ने न सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की, बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने का था। इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था। इसके ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडोलैंड आज अपने एक नए रूप के साथ देश के सामने खड़ा है। यहां के युवाओं में जो ऊर्जा है, जो आत्मविश्वास है, वो फुटबॉल के मैदान में सबसे ज्यादा दिखता है। बोडो टेरिटोरियल एरिया में बोडोलैंड सीईएम कप का आयोजन हो रहा है। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं है। यह एकता और उम्मीद का उत्सव बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेघालय के एरी सिल्क को कुछ दिन पहले ही जीआई टैग मिला है। इसे मेघालय के लिए एक धरोहर की तरह है। यहां की जनजातियों ने, खासकर खासी समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा भी है और अपने कौशल से समृद्ध भी किया है।