'प्रस्तावना' में बदलाव नहीं किया जा सकता, लेकिन आपातकाल के दौरान इसे बदला गया: धनखड़

उपराष्ट्रपति का बड़ा बयान

Photo: jdhankhar1 Instagram account

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि संविधान की प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह वह बीज है जिस पर यह दस्तावेज विकसित होता है।

उन्होंने कहा कि भारत के अलावा किसी अन्य संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, 'लेकिन इस प्रस्तावना को वर्ष 1976 के 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम द्वारा बदल दिया गया। इसमें 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'अखंडता' जैसे शब्द जोड़े गए।'

उन्होंने कहा, 'हमें इस पर विचार करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि बीआर अंबेडकर ने संविधान पर कड़ी मेहनत की थी और 'निश्चित रूप से इस पर ध्यान केंद्रित किया होगा।'

यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब आरएसएस ने गुरुवार को संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया था। आरएसएस ने कहा था कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे।
    
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के इस आह्वान की आलोचना की है कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए कि 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को संविधान की प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं। उन्होंने इसे 'राजनीतिक अवसरवाद' और संविधान की आत्मा पर 'जानबूझकर किया गया हमला' करार दिया है।

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