आनंद में जीवन जीने का उत्तम सूत्र है धर्म का आचरण: मुनिश्री पुलकित कुमार

'व्यक्ति को धनवान के साथ धर्मवान बनना जरूरी है'

'सुख और शांति को प्राप्त करना ही धार्मिक व्यक्ति का लक्ष्य होता है'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के श्रीरामपुरम स्थित जेपीपी श्रमणी सेंटर में मुनि डॉ. पुलकित कुमार जी का पदार्पण हुआ। इस मौके पर श्रावक समाज को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि व्यक्ति को धनवान के साथ धर्मवान बनना जरूरी है। 

धनवान कभी भी जीवन की राह भटक सकता है, पर धर्मवान अध्यात्म की ऊंचाई को निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है। मुनिश्री ने कहा कि आनंद में जीवन जीने का उत्तम सूत्र है धर्म का आचरण करना। मनुष्य जीवन की इसी में सार्थकता है कि उन्नत आचार और मधुर व्यवहार हो। सुख और शांति को प्राप्त करना ही धार्मिक व्यक्ति का लक्ष्य होता है।

इस अवसर पर तेरापंथ सभा के मंत्री विनोद छाजेड़ ने सभी का स्वागत किया और 6 जुलाई को गांधीनगर सभा भवन में होने वाले मुनिश्री का चातुर्मासिक प्रवेश व शाम को पैलेस ग्राउंड पर होने वाले धम्मजागरण की जानकारी दी। 

इस अवसर पर सभा तेरापंथ सभा के अध्यक्ष पारसमल भंसाली, प्रकाश कटारिया, राजेंद्र बाफना, अशोक श्रीश्रीमाल सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे। संचालन रमेश सियाल ने किया। राजेश सिसोदिया ने धन्यवाद दिया।

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