Dakshin Bharat Rashtramat

कला के बहाने शत्रु का समर्थन क्यों?

कुछ लोग पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थन में क्यों राग अलाप रहे हैं?

कला के बहाने शत्रु का समर्थन क्यों?
हम ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे पाकिस्तान को किसी भी तरह का लाभ हो

'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान पर धावा बोलने से पहले ही भारत सरकार ने इस पड़ोसी देश के पर कतरने शुरू कर दिए थे। इसके लिए जासूसी करने वाले कई एजेंट पकड़े जा चुके हैं। साथ ही, कई पाकिस्तानी कलाकारों, कथित पत्रकारों और चैनलों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया गया। ऐसा करना जरूरी था, क्योंकि ये लोग 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान दुष्प्रचार और भ्रम का प्रसार कर सकते थे। इन्होंने ऐसा किया भी, लेकिन उसका खास असर नहीं हुआ। जब हमारा देश आतंकवाद के खिलाफ इतनी मजबूती से लड़ाई लड़ रहा है तो कुछ लोग पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थन में क्यों राग अलाप रहे हैं? पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर की वजह से एक भारतीय अभिनेता सुर्खियों में छाए हुए हैं। एक गायक बेसिर-पैर की दलील दे रहे हैं कि 'अगर प्रतिबंध लगाना है तो जितने भी पाकिस्तानी गाने हैं, सब पर लगाएं ... उन पर भी जिनके लिए पहले पाकिस्तानी गायकों ने आवाज दी थी!' इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय सिनेमा उद्योग का पूरा रिकॉर्ड उठाकर उसका अध्ययन करें, उसमें पाकिस्तानियों की पहचान करें, उसके बाद प्रतिबंध लगाएं। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्तमान पर ध्यान देने के बजाय अतीत के गलियारों में ही घूमते रहें, जब किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाएं, तब कोई कार्रवाई करें ... इस दौरान पाकिस्तानियों को धड़ल्ले से काम करने दें! कुछ कथित कलाकारों का यह रवैया समझ से परे है। क्या वजह है कि आपको पाकिस्तानी कलाकार ही चाहिएं? अगर पड़ोसी देशों के कलाकारों को काम देना है तो भूटान, नेपाल, श्रीलंका के कलाकारों को दें।  

देश में कई वर्षों से एक और अजीब दलील खूब दी गई है कि 'कला के लिए कोई सरहद नहीं होती, लिहाजा पाकिस्तान के सिनेमा उद्योग से जो व्यक्ति आए, उसका खूब स्वागत होना चाहिए।' हमारा सैनिक एलओसी पर लहूलुहान हो जाए या वीरगति को प्राप्त हो जाए, लेकिन हमारे देशवासी पाकिस्तानी कलाकारों के लिए 'वाह-वाह' करते रहें! क्या इस तरह हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जीत सकते हैं? हमारा सैनिक अपने सीने पर गोलियां खाता रहे, लेकिन हम पाकिस्तानियों पर प्रतिबंध भी न लगाएं? भारत में बहुत लोगों में शत्रुबोध का घोर अभाव है। वे यह बात समझ ही नहीं रहे कि पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद को कुचलने के लिए हमें कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी है। जो पाकिस्तानी कलाकार भारत में काम करने के बदले धन पाते हैं, उससे इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को ताकत मिलती है। कई पाकिस्तानी ड्रामे सोशल मीडिया के जरिए भारत में खूब देखे गए। इससे जो डिजिटल कमाई हुई, उसका बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तानी खजाने में गया था। क्या इस्लामाबाद ने उस राशि का इस्तेमाल हमारे खिलाफ नहीं किया होगा? पहलगाम में आतंकवादी हमले की फंडिंग से लेकर हमारे कई शहरों पर मिसाइलें दागने और ड्रोन भेजने के लिए पाकिस्तान के पास पैसा कहां से आया होगा? भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के कई सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उनके व्यूज एकदम गिर गए हैं। जिन वीडियो को पहले लाखों लोग देखते थे, अब वे कुछ हजार तक सिमट गए हैं। सोचिए, पिछले एक दशक में भारतीय इंटरनेट यूजर्स ने पाकिस्तानी चैनलों को कितने व्यूज दिए होंगे और उससे कितनी कमाई हुई होगी? इस समय पाकिस्तान के लिए एक-एक डॉलर बहुत महत्त्वपूर्ण है। जिस दिन उसका खजाना थोड़ा-सा भर जाएगा, वह हमारे खिलाफ आतंकवाद को भड़काएगा। आतंकवादियों और उनके आकाओं को मुंहतोड़ जवाब देने की जिम्मेदारी सिर्फ भारत सरकार और सशस्त्र बलों की नहीं, हम सबकी है। हम ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे पाकिस्तान को किसी भी तरह का लाभ हो।

About The Author: News Desk

News Desk Picture