इजराइल-ईरान भिड़ंत के बीच अमेरिका के हस्तक्षेप से युद्ध की आग और ज्यादा भड़कने की आशंका है। अब तक इजराइल अकेला जूझ रहा था। अमेरिका के आने से उसकी हिम्मत बढ़ेगी। वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। अगर वे अमेरिका और इजराइल के खिलाफ बड़े सैन्य कदम उठाएंगे तो जवाबी हमला कहीं ज्यादा घातक हो सकता है। उससे ईरान में जान-माल के भारी नुकसान की आशंका होगी। अगर खामेनेई शिकस्त कबूल कर लेंगे और कोई बड़ा पलटवार नहीं करेंगे तो ईरान में आक्रोश भड़क सकता है। वहां सर्वोच्च नेता के विरोधियों की कमी नहीं है। जब लोगों को यह महसूस होगा कि खामेनेई के जंगी जुनून की वजह से उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है और सर्वोच्च नेता देश के गौरव की रक्षा करने में विफल रहे हैं तो एक बार फिर उनके खिलाफ नारे गूंज सकते हैं। ऐसे में खामेनेई के सामने बड़ी चुनौती होगी। उन पर भारी दबाव होगा कि वे खुद को ऐसे नेता की तरह दिखाएं, जिसे ताकतवर दुश्मन झुका नहीं सका। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध में इजराइल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला लेने की बात कहकर ईरान को भ्रमित करने की कोशिश की थी। हालांकि यह देश उनके ऐसे बयानों को संदेह की दृष्टि से ही देखता है। ट्रंप के आदेश पर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर जोरदार बमवर्षा की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति इसे 'अत्यंत सफल हमला' बता रहे हैं, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों में किया गया यह दावा संपूर्ण कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाता है कि बंकर-बस्टर्स बमों की रेंज 65 मीटर थी, जबकि परमाणु ठिकाने उससे भी काफी नीचे थे! अभी ट्रंप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। अगर भविष्य में खुफिया रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि हुई कि अमेरिकी हमले के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम सुरक्षित रहा, तो ट्रंप क्या करेंगे? क्या उस सूरत में अमेरिका एक बार फिर धावा बोलेगा?
जब ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी विमान कहर बरपा रहे थे, तब 'सिचुएशन रूम' में बैठे ट्रंप अपने समर्थकों को खास संदेश दे रहे थे। उनकी टोपी पर लिखे पसंदीदा वाक्य 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' को पढ़कर उन्हें महसूस होगा कि हमारे नेता देश को महान बनाने के लिए सच में ही कुछ कर रहे हैं। ईरान पर अमेरिका के हमले की आशंका के मद्देनजर वहां कई जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे। अब चूंकि हमला हो चुका है, इसलिए ट्रंप अपने विरोधियों को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं। वे उन्हें बताना चाहते हैं कि 'इस कार्रवाई से दुनिया अधिक सुरक्षित हुई है और इसका श्रेय मुझे मिलना चाहिए।' नोबेल शांति पुरस्कार पाने के लिए ट्रंप की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी हुई नहीं है। हालांकि अब यह पुरस्कार पाने का उनका सपना धूमिल हो सकता है। अमेरिका की कार्रवाई से सबसे ज्यादा खुशी इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को हो रही होगी। वे अपनी मिसाइलों और ड्रोन्स के जरिए अब तक जिन ठिकानों को निशाना नहीं बना सके थे, वहां अमेरिकी विमानों ने तबाही मचा दी। वे इसे इजराइली नागरिकों में अपनी कूटनीतिक और सैन्य जीत के तौर पर प्रचारित करेंगे। इस युद्ध में ईरान को भले ही जान-माल का ज्यादा नुकसान हुआ हो, लेकिन उसने इजराइल को भी गहरी चोट पहुंचाई है। अमेरिकी हवाई हमले के बाद इजराइल में सोशल मीडिया पर लोगों के उत्साह में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। उन्हें लगता है कि अब यह युद्ध समाप्ति की ओर है। सात अक्टूबर, 2023 की घटना के बाद हमास, हिज्बुल्ला जैसे संगठनों की कमर तोड़ते हुए, अब सीधे ईरान से टक्कर लेने के फैसले तक इजराइली काफी थक चुके हैं। वे चाहते हैं कि युद्ध जल्द खत्म हो और वे सामान्य जीवन जीएं। इन दिनों इजराइल के कई शहरों में खूब सायरन बज रहे हैं और लोगों को अचानक सुरक्षित ठिकानों की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है। अगर इजराइल और ईरान की सरकारें एक सम्मानजनक समझौते पर अमल करते हुए युद्ध विराम कर लें तो अपने नागरिकों पर बड़ा उपकार करेंगी।