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कर्म और धर्म मनुष्य जीवन रूपी नदी के दो किनारे हैं: मुनिश्री पुलकित कुमार

जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत है कर्मवाद

कर्म और धर्म मनुष्य जीवन रूपी नदी के दो किनारे हैं: मुनिश्री पुलकित कुमार
कर्म कर्ता का अनुगमन करता है

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के कॉक्स टाऊन क्षेत्र में सरदारमल सुराणा के निवास स्थान पर बुधवार को मुनि डॉ. पुलकित कुमार जी एवं सहवर्ती आदित्य कुमारजी का पर्दापण हुआ। इस मौके पर तेरापंथ सभा गांधीनगर के तत्वावधान में 'कर्म हंसाए-कर्म रुलाए’ विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

कार्यशाला में मुनिश्री पुलकित कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत है कर्मवाद। कर्म कर्ता का अनुगमन करता है। कर्म दो तरह के होते हैं शुभ और अशुभ। अशुभ कर्म का फल किसी को पसंद नहीं है। धर्म का मर्म समझने वाला अशुभ कर्मोंसे बचने का प्रयास करता है। कर्म शुभ होते हैं तो चेहरे पर मुस्कुराहट छा जाती है। कर्म और धर्म मनुष्य जीवन रूपी नदी के दो किनारे हैं। धार्मिक व्यक्ति अशुभ कर्मों के बंधन से बचने का प्रयास करें, इसके लिए प्रभु स्मरण करते रहें। 

मुनिश्री आदित्य कुमार जी ने कर्म विषय पर अपना प्रेरणादायी वक्तव्य दिया। तेरापंथ सभा गांधीनगर के अध्यक्ष पारसमल भंसाली ने सभी का स्वागत किया। सरदारमल सुराणा ने मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। 

सभा के मंत्री विनोद छाजेड़ ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए उपस्थित सभी जनों को 6 जुलाई को मुनिश्री के चातुर्मासिक प्रवेश पर आमंत्रित किया। सुमन बाई सुराणा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

मूर्तिपूजक जैन संघ के प्रमुख इन्दरचंद बोहरा ने मुनिश्री को हीराबाग में पधारने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में गौतम संचेती, कॉक्स टाउन जैन समाज से अनेक प्रमुखजनों सहित इन्दिरानगर, जीवनहल्ली, शांतिनगर, टेनरी रोड, सिंधी कॉलोनी, सेवानगर, कंटोनमेंट, गांधीनगर आदि क्षेत्रों से भी श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन नवनीत मुथा ने किया।

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