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डिजिटल जासूसी नेटवर्क

क्या आईएसआई सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों को मोहरा बना रही है?

डिजिटल जासूसी नेटवर्क
हरियाणा की एक मशहूर यूट्यूबर की गिरफ्तारी चौंकाती है

भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों पर की जा रहीं ताबड़तोड़ कार्रवाइयों से पता चलता है कि हमारी खुफिया एजेंसियां बहुत सतर्क हैं। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकियों के ठिकानों का पता लगाकर उनकी सटीक सूचना दी थी, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों को बड़ी कामयाबी मिली। अब उन लोगों पर शिकंजा कसा जाना स्वागत योग्य है, जो यहां रहकर पाकिस्तान की मदद कर रहे थे। उनमें हरियाणा की एक मशहूर यूट्यूबर की गिरफ्तारी चौंकाती है। जिसके वीडियो पर लाखों व्यूज आते थे, जिसे देशभर से इतनी सराहना मिलती थी, वह युवती पाकिस्तान के लिए काम कर रही थी! क्या पाक की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में अपना जासूसी नेटवर्क बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों को मोहरा बना रही है? क्या आईएसआई इन इन्फ्लूएंसरों का इस्तेमाल कर जासूसी के नए तौर-तरीके ढूंढ़ रही है? उक्त महिला यूट्यूबर के अन्य वीडियो पर व्यूज सामान्य थे, लेकिन इसने जैसे ही 'पाकिस्तान यात्रा' के वीडियो डालने शुरू किए, व्यूज में एकदम उछाल आया। एक वीडियो पर तो 10 लाख से ज्यादा व्यूज आए हैं। इसने पाकिस्तान की अच्छी छवि पेश करने की कोशिश की थी। क्या हिंसक और आतंकी छवि वाला यह पड़ोसी देश अब भारतीय सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों के जरिए खुद को अच्छा दिखाना चाहता है, ताकि उसके यहां पर्यटन में बढ़ोतरी हो? प्राय: यह देखने में आता है कि कुछ भारतीय नागरिक पाकिस्तान से लौटने के बाद इस बात की बड़ी तारीफ करते हैं कि वहां उनसे किसी ने खाने के रुपए नहीं लिए। वे इसका ऐसे बखान करते हैं, गोया पाकिस्तान ने मुफ्त खाना खिलाकर उन पर बड़ा एहसान कर दिया!

भारत में तो रोजाना कितने ही भंडारे और लंगर चलते हैं। वहां किसी से पहचान नहीं पूछी जाती और सबको मुफ्त खाना खिलाया जाता है! ये कार्य सेवा और श्रद्धा की भावना से किए जाते हैं। पाकिस्तान में किसी भारतीय पर्यटक को मुफ्त खाना इसलिए खिलाया जाता है, ताकि वह साठ रुपए की थाली खाए और अपने देश जाकर लाखों रुपए का प्रचार करे। यहां पाक का स्वार्थ है। भारतीय इस जाल में बहुत आसानी से फंस जाते हैं। कुछ साल पहले एक बॉलीवुड अभिनेत्री ने पाकिस्तान जाकर किसी कार्यक्रम में बयान दिया था कि 'मैं कसम खाकर कह रही हूं कि लाहौर के सामने लंदन, न्यूयॉर्क सब फेल हैं'। उसे पाकिस्तान आज तक भुना रहा है। अगर पाकिस्तान इतना ही मानवतावादी देश है तो वहां अल्पसंख्यक 3 प्रतिशत से भी कम क्यों रह गए? यह पड़ोसी देश प्रसिद्धि की लालसा रखने वाले लोगों को थोड़ा-सा लालच देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। उसके लिए सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों के वेश में अपने एजेंट भर्ती करना बड़ा आसान है। पहले, उसे भारत में विभिन्न जगहों की तस्वीरें लेने के लिए अपने लोगों को भेजना होता था। इस काम में बहुत जोखिम था। किसी स्थानीय सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को यह ज़िम्मा सौंप देने से काम बहुत आसानी से हो सकता है। ऐसे लोगों पर किसी को शक भी नहीं होता। पाकिस्तान में कोरोना काल में कई इन्फ्लूएंसर रातोंरात प्रकट हुए थे। उनका एक ही काम होता था- 'भारत की खूब तारीफ करना।' वे लाहौर, इस्लामाबाद, कराची जैसे शहरों में रहते हुए ही बहुत शातिर ढंग से भारत से सूचनाएं ले लेते थे। इसके लिए खुद स्थानीय बाजार में जाते और विभिन्न चीजों के भाव पूछते। उसके बाद भारत में अपने किसी फॉलोअर से कहते कि आप भी बाज़ार जाएं और चीजों के भाव पूछें। इस दौरान भारतीय फॉलोअर अपने इलाके से जुड़ीं कई बातें अनजाने में ही बता देता था। ऐसी सूचना का इस्तेमाल आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए किया जा सकता है। आखिरकार भारत सरकार ने उन चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया। अब खासकर उन भारतीय यूट्यूब चैनलों की सख्ती से जांच की जानी चाहिए, जिन पर हाल में पाकिस्तान की शान में कसीदे पढ़े गए थे। दुश्मन का डिजिटल जासूसी नेटवर्क फैले, इससे पहले ही उसे नष्ट कर देना चाहिए।    

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