नई दिल्ली/दक्षिण भारत। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा वर्ष 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित किए जाने पर पाकिस्तान ने इसके बारे में नई दिल्ली की दीर्घकालिक चिंताओं पर चर्चा करने संबंधी अपनी इच्छा का संकेत दिया है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने संधि के निलंबन पर भारत सरकार की औपचारिक अधिसूचना पर प्रतिक्रिया दी है। अपने भारतीय समकक्ष देबाश्री मुखर्जी को लिखे पत्र में मुर्तजा ने नई दिल्ली द्वारा उठाई गईं विशिष्ट आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए अपनी सरकार की तत्परता व्यक्त की है।
उन्होंने भारत के कदम के कानूनी आधार पर भी सवाल उठाया और कहा कि संधि में कोई निकास खंड नहीं है।
हालांकि, भारत सरकार अपने फैसले पर अडिग है। संपर्क किए जाने पर जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने इस घटनाक्रम पर आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया, लेकिन सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत की स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है।
सूत्रों ने दोहराया कि संधि को निलंबित करने का निर्णय 'जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर जारी सीमा पार आतंकवाद' के कारण लिया गया है। 24 अप्रैल को लिखे पत्र में मुखर्जी ने मुर्तजा को सूचित किया था कि 'संधि के तहत वार्ता में शामिल होने से पाकिस्तान का इन्कार तथा आतंकवाद को लगातार प्रायोजित करना संधि का उल्लंघन है।'
महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान की नवीनतम अपील - जिसे पत्र में लाखों लोगों की जल पर निर्भरता के कारण निर्णय पर पुनर्विचार करने का आह्वान बताया गया है - ऐसे समय में की गई, जब भारत चिनाब नदी पर बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं में फ्लशिंग और डिसिल्टिंग अभियान चला रहा है।
मुर्तजा के पत्र से पता चलता है कि पाकिस्तान ने अपना रुख नरम कर लिया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि पत्र का लहजा आक्रामक बना हुआ है और इस्लामाबाद ने भारत के कदम को एकतरफा और अवैध करार दिया है।