कारगिल युद्ध में मारे गए पाकिस्तानी जवानों के शव लेने से इन्कार करने वाली इस पड़ोसी देश की फौज ने इस बार थोड़ा 'हौसला' दिखाया है। उसने दबी जुबान से जल्द ही कबूल कर लिया कि भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के कारण पाकिस्तान के कई फौजी ढेर हुए हैं। हालांकि उसने जो आंकड़े पेश किए, उनमें झूठ साफ झलकता है। पाकिस्तान अपने उन फौजियों के बारे में सही जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं करता, जो भारतीय कार्रवाई में मारे जाते हैं। कारगिल युद्ध में भी यही हुआ था। पहले तो उसने यह कबूल करने से साफ इन्कार कर दिया था कि घुसपैठियों के वेश में कोई और नहीं, बल्कि उसके फौजी हैं। जब भारत की थलसेना और वायुसेना ने उनका संहार कर दिया तो पाकिस्तान ने शव लेने से इन्कार कर दिया था। पाक में ऐसे कई परिवार हैं, जिन्हें पता ही नहीं कि कारगिल युद्ध में मारे गए उनके बेटे कहां और किस कब्र में दफ्न हैं! आज पूरे पाकिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है। पाकिस्तानी फौज के सामने सबसे बड़ी चुनौती जनता के बीच अपनी नकली छवि को बचाने की है। अन्यथा मुल्क पर उसकी पकड़ ढीली हो जाएगी। एक ओर पाकिस्तानी फौज यह दावा कर रही है कि उसके सिर्फ दर्जनभर कर्मी मारे गए, दूसरी ओर उसके फौजी ठिकानों पर मची भारी तबाही की तस्वीरें पाकिस्तानी नागरिक ही वायरल कर रहे हैं! पाकिस्तानी नेता, अधिकारी और स्थानीय मीडियाकर्मी भले ही इन ख़बरों को दबा जाएं, लेकिन जनता ने पोल खोल दी। जिन इलाकों में पाकिस्तानी फौजियों के शव पहुंचे हैं, वहां स्थानीय लोगों में से किसी ने जनाजे की तस्वीरें और वीडियो आदि सोशल मीडिया पर डाल दिए!
छह मई की रात को पाकिस्तान में भारी हाहाकार मच गया था। उसके बाद थोड़ी खामोशी छा गई। फिर, जनाजे निकलने लगे। सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है कि पाकिस्तान के शहरों से लेकर गांवों तक एंबुलेंसें चक्कर लगा रही हैं, उनमें से कई ताबूत उतारे जा रहे हैं। लोगों ने शवों को पाकिस्तानी झंडों से ढक रखा है। यही नहीं, एलओसी पर भारतीय सेना ने जो रौद्र रूप दिखाया, उससे पीओके में भारी नुकसान हुआ है। पाकिस्तानी फौज की कई चौकियां नष्ट हो गई हैं। उनके वीडियो भारतीय सेना जारी कर चुकी है। इन सब बातों को जोड़कर देखें तो इस नतीजे पर आसानी से पहुंचा जा सकता है कि पाकिस्तान ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मारे गए फौजियों की असल संख्या उससे चार-पांच गुणा ज्यादा है। उसने ढेर हुए आतंकवादियों (जिन्हें वह आम नागरिक कहकर प्रचारित कर रहा है) की जो संख्या बताई, वह भी हकीकत से कोसों दूर है। भारतीय मिसाइलों की मारक क्षमता जबर्दस्त थी। उस रात पीओके और पाकिस्तान में कई लोगों ने उनके वीडियो रिकॉर्ड कर लिए थे। उनमें देखा जा सकता है कि हमारी मिसाइलें बहुत तेज गर्जना करती हुईं लक्ष्य की ओर गई थीं। जब वे इमारतों की मजबूत छतों को चीरकर आतंकवादियों पर गिरीं तो बहुत तेज रोशनी हुई और आस-पास का इलाका भयंकर धमाकों से गूंज उठा था। लोग उसे कयामत की रात कहते नजर आए थे। अगले दिन पश्चिमी मीडिया ने भी उन खंडहरनुमा इमारतों की तस्वीरें जारी की थीं। उन्हें देखकर कोई भी यकीन के साथ कह सकता है कि उस रात जो व्यक्ति भारतीय मिसाइलों की चपेट में आया, उसके बचने की संभावना नगण्य रही। 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान को 100 से ज्यादा आतंकवादियों का नुकसान जरूर हुआ है। अब उसकी फौज आंकड़ों पर लीपापोती कर रही है। वह इसके लिए स्वतंत्र है। भारत में कुछ लोग उसके दुष्प्रचार पर विश्वास करते हुए जिस तरह 'ऑपरेशन सिंदूर' की उपलब्धियों पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे दुश्मन के जाल में फंस रहे हैं। आम जनता के लिए तो यह ज्यादा उचित रहेगा कि इस समय पाकिस्तान द्वारा सोशल मीडिया पर जारी की जा रहीं सभी तरह की सूचनाओं से पूरी तरह दूरी बना ले। वहां कबाड़ पर झूठ के पहाड़ बनाए जा रहे हैं।