भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाकर बड़े उद्देश्यों को प्राप्त किया है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई 'सीज फायर' संबंधी घोषणा के बाद लोगों के मन में कुछ नाराजगी भी है कि जब हमारी सेनाएं 'लड़ाई' जीत रही थीं तो अचानक यह फैसला नहीं लेना चाहिए था। ऐसा सोचना स्वाभाविक है। हर राष्ट्रवादी चाहता है कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों का भरपूर दंड मिले, बलोचिस्तान या पीओके को उससे अलग किया जाए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान का इलाज किसी एक ऑपरेशन से नहीं किया जा सकता। इसके लिए विभिन्न चरणों के तहत आगे बढ़ना होगा। हम यह बात भलीभांति जानते हैं कि पाकिस्तान किसी भी सीज फायर, संधि या समझौते का सम्मान नहीं करेगा। वह ऐसी हरकत जरूर करेगा, जिसके बाद उसे दंडित करने के लिए भारत के पास पुख्ता वजह होगी। जहां तक पाकिस्तान से बलोचिस्तान या पीओके को अलग करने और उसकी फौज को वर्ष 1971 जैसी शिकस्त देने का सवाल है तो उसके लिए बहुत बड़े स्तर पर युद्ध की जरूरत होगी। सरकार को कई बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना होता है। पहले, रूस-यूक्रेन युद्ध को देख लें, जो अब तक खत्म नहीं हुआ है। इजराइल-हमास की भिड़ंत जारी है। क्या ऐसे समय में पाकिस्तान को कठोर दंड देने के लिए युद्ध ही एकमात्र विकल्प है? क्या हम युद्ध के आर्थिक, सामाजिक नतीजों का सामना करने के लिए तैयार हैं? आज कई ताकतें चाहती हैं कि भारत जल्दबाजी में युद्ध में कूदे और उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाए। युद्ध करना किसी मोबाइल गेम को खेलने जैसा नहीं होता है।
मौजूदा हालात को देखते हुए भारत को राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, सामाजिक तौर पर मजबूत रहना चाहिए और 'लड़ाई' लंबी खींचनी चाहिए। पाकिस्तान के होश ठिकाने लगाने के लिए जरूरी नहीं कि हम परंपरागत ढंग से ही युद्ध करें। याद करें, अमेरिका ने सोवियत संघ के टुकड़े करने के लिए क्या किया था? हमें एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी मजबूत करते हुए ऐसे इंतजाम करने होंगे कि पाकिस्तान में अंदरूनी दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाए। जब पाकिस्तानी फौजी को मिलने वाली 15 रुपए की रोटी 150 रुपए की पड़ने लगेगी तो यह पड़ोसी देश ताश के महल की तरह धराशायी हो जाएगा। बस, जरूरत इस बात की है कि पाकिस्तान की अच्छी तरह से घेराबंदी की जाए। भारत के पास विकल्पों की कमी नहीं है। अभी तो सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने का असर होना बाकी है। इस साल मानसून अच्छा रहने का अनुमान है। जब अगस्त में झमाझम मेघ बरसेंगे और भारत अपने लबालब भरे बांधों के गेट खोलेगा तो उनकी गूंज इस्लामाबाद से लेकर कराची तक सुनाई देगी। पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने जो कार्रवाई की, उससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। उसके सौ से ज्यादा आतंकवादी ढेर हुए, जिनमें दर्जनभर तो बहुत कुख्यात आतंकवादी थे। पाकिस्तान के लगभग 40 फौजी मारे गए। हमारी वायुसेना ने पाक के एयर डिफेंस सिस्टम उड़ा दिए। उसके सभी हवाई हमलों को नाकाम कर दिया। लश्कर और जैश के गढ़ बर्बाद कर दिए। पाकिस्तान ने ऐसी कार्रवाई की कल्पना भी नहीं की थी। इस समय हमें दुगुने उत्साह के साथ तैयारी करनी चाहिए। सरकार और सशस्त्र बल ऑपरेशन सिंदूर के हर पक्ष की समीक्षा करें और भविष्य के लिए ज्यादा असरदार रणनीति बनाएं। मॉक ड्रिल और अन्य तैयारियां जारी रखें। देशवासी एकजुट रहें। हमें न तो अति-उत्साहित होना है और न ही ढिलाई बरतनी है। आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई को भारत जीत रहा है, हम सब जीत रहे हैं।