नई दिल्ली/दक्षिण भारत। एक बड़े फैसले में, केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि आगामी जनगणना में जाति गणना को 'पारदर्शी' तरीके से शामिल किया जाएगा और जाति सर्वेक्षण को 'राजनीतिक उपकरण' के रूप में इस्तेमाल करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की।
कांग्रेस सहित विपक्षी दल देशव्यापी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं तथा बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ऐसे सर्वेक्षण कराए भी हैं।
राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णय की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना 'गैर-पारदर्शी' तरीके से की है, जिससे समाज में संदेह पैदा हुआ है।
यह उल्लेख करते हुए कि स्वतंत्रता के बाद से किए गए सभी जनगणना कार्यों में जाति को शामिल नहीं किया गया था, वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है और पार्टी ने इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण के रूप में किया है।
उन्होंने कहा, 'इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति के कारण सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो, सर्वेक्षणों के स्थान पर जाति गणना को पारदर्शी तरीके से जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि इससे हमारे समाज का सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा तथा राष्ट्र भी प्रगति करता रहेगा।
मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति सर्वेक्षण किए हैं और इस बात पर जोर दिया कि मोदी सरकार ने आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जाति गणना को पारदर्शी रूप से शामिल करने का संकल्प लिया है।