नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में समग्र सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श किया।
इस बीच, सीमा पार संबंधों के मद्देनजर पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं।
सीसीएस की बैठक प्रधानमंत्री के लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर हुई। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी और 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया के 'तरीके, लक्ष्य और समय' पर सशस्त्र बलों को परिचालन संबंधी स्वतंत्रता दी थी।
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए।
पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के बढ़ते संकेतों की पृष्ठभूमि में आयोजित सीसीएस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पहलगाम हमले के बाद यह सीसीएस की दूसरी बैठक थी।
23 अप्रैल को हुई पहली बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाने का फैसला लिया गया, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी में एकमात्र भूमि सीमा पार संचालन को बंद करना तथा हमले के सीमा पार संबंधों के मद्देनजर राजनयिक संबंधों को कम करना शामिल था।
जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाईक्षेत्र बंद कर दिया और तीसरे देशों के माध्यम से भारत के साथ सभी व्यापार को निलंबित कर दिया। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को 'युद्ध की कार्रवाई' के रूप में देखा जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को रक्षा अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में मोदी ने कहा कि सशस्त्र बलों को भारत की प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर निर्णय लेने की पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता है।