नादान दोस्त अक्लमंद दुश्मन से ज्यादा खतरनाक होता है। इस कहावत को एक बार फिर सच साबित किया है उन कथित बुद्धिजीवियों ने, जो इन दिनों थोड़ा-सा प्रचार पाने के लिए पाकिस्तान के दुलारे बनने को आमादा हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशवासियों को एकजुटता दिखानी चाहिए, ज़्यादातर लोग ऐसा कर भी रहे हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसी बयानबाजी पर उतर आए हैं, जिससे दुश्मन को तालियां बजाने का मौका मिल रहा है। पहलगाम हमला क्यों हुआ, कैसे हुआ, कहां गलती हुई, क्या सुधार करना चाहिए, कौन जिम्मेदार है - जैसे सवालों के जवाब देशवासी जानना चाहते हैं। याद रखें, यह समय एक-दूसरे पर निशाना साधने का नहीं है। सवालों के जवाब लिए जाएंगे, जिम्मेदारियां भी तय की जाएंगी। उसके लिए समय आएगा। अभी हमें एकजुट होकर अडिग रहना है। हमें पहलगाम हमले के गुनहगारों से हिसाब लेना है। एक ओर भारत सरकार पाकिस्तान के भ्रामक व भड़काऊ यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगा रही है, दूसरी ओर हमारे ही कुछ 'तेजस्वी' लोग बेसिर-पैर की बातें कर पाकिस्तानी मीडिया से वाहवाही बटोर रहे हैं। एक कथित किसान नेता सिंधु जल संधि को स्थगित करने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जता रहे हैं! उनका मानना है कि इससे पड़ोसी देश के आम लोग, खासकर किसान प्रभावित होंगे। क्या खून और पानी एकसाथ बहते रहने चाहिएं? इन्हें पाकिस्तान के किसानों की इतनी चिंता है, वे हमारे देशवासियों की सुरक्षा के लिए कितने चिंतित हैं? पाकिस्तान में कितने किसानों ने आतंकवादियों के खिलाफ जुलूस निकाला?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख, रक्षा मंत्री से लेकर तमाम नेता भारत को धमकियां दे रहे हैं। क्या शांति की जिम्मेदारी अकेले भारत की है? इन पड़ोसियों के तेवर देखें। इतनी बड़ी घटना हो गई, लेकिन इन्हें कोई अफसोस नहीं, पछतावा नहीं, शर्म नहीं! भारत में एक कथित गायिका ने सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट डाली कि पूरे पाकिस्तान में उसके चर्चे होने लगे। जर्मनी में रहने वाले भारतीय मूल के एक यूट्यूबर को पाकिस्तानी चैनल किसी विशेषज्ञ की तरह पेश करते हुए कह रहे हैं- 'मोदी से पूछो कि मुल्क की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी किसकी है?' इन लोगों ने पाकिस्तानी मीडिया को हमलावर होने का मौका दे दिया। पहले, वहां खलबली मची हुई थी कि भारत की ओर से किसी भी समय सख्त कार्रवाई हो सकती है। अब वहां खुशी का माहौल है। पाकिस्तान के एक मशहूर पत्रकार ने पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर की गई गोलीबारी को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने जो कुतर्क दिए, उनकी सामग्री इन्हीं कथित बुद्धिजीवियों से मिली होगी। एक सेवानिवृत्त जज अपने एक्स अकाउंट पर जो चीजें पोस्ट कर रहे हैं, उससे पाकिस्तानी मीडिया को खूब मसाला मिल गया है। पाकिस्तानियों को पहलगाम हमले के बाद अपना बचाव करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे थे। उक्त जज साहब ने यह कहते हुए उनका काम आसान कर दिया- 'भारतीय मीडिया ... हो गया है। पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहरा रहा है और पाकिस्तान पर हमले की मांग कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे जब बलोच आतंकवादियों द्वारा ट्रेन पर हमला किया गया था तो पाकिस्तानी मीडिया ... हो गया था और भारत को दोषी ठहरा रहा था।' न जाने क्यों कुछ लोगों को पाकिस्तान में प्रचार पाने की ऐसी लालसा होती है! अगर वे इतनी ऊर्जा आतंकवाद का विरोध करने में लगाते तो भारत की आवाज और बुलंद होती। खैर, इतिहास इनसे भी सवाल करेगा। भारतवासियों ने अपनी एकता और दृढ़ संकल्प के बल पर कई मुश्किलों को पार किया है। आज कुछ लोगों के शब्दों से दुश्मन को खुशी होती है तो होती रहे। हम उसे हराएंगे, आतंकवाद को भी मिटाएंगे।