भारत सरकार ने भ्रामक, झूठी और भड़काऊ सामग्री का प्रसारण करने वाले लगभग डेढ़ दर्जन पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाकर दुष्प्रचार की दुकानों पर ताला लगा दिया है। ये चैनल भारतीय दर्शकों के कारण चल रहे थे और डॉलर में मोटी कमाई कर रहे थे। इनमें से कुछ चैनल तो भारत के खिलाफ खुलकर नफरत का इज़हार कर रहे थे। वहीं, कई चैनल साजिश के तहत भारत की खूब तारीफ कर रहे थे। उनके कथित रिपोर्टर जनता के बीच जाकर पाकिस्तान की सरकार, फौज और एजेंसियों के बारे में सख्त सवाल करते और भारत की तारीफों के पुल बांधते। इसके बाद वे 'सही-सलामत' लौट आते! ऐसा एक बार नहीं, सैकड़ों बार हुआ। क्या इससे शक पैदा नहीं होता? जिस देश में हर टीवी चैनल के बाहर खुफिया एजेंसियों के वाहन चक्कर लगाते रहते हैं, फौज के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को गायब कर दिया जाता है, वहां ये यूट्यूबर आज़ाद घूम रहे थे! ऐसा कैसे संभव है? वास्तव में ये कोई और नहीं, बल्कि आईएसआई की कठपुतली थे। इन्हें बहुत सोच-समझकर आगे बढ़ाया जा रहा था। इन यूट्यूब चैनलों के जरिए आईएसआई खास तरह के प्रयोग कर रही थी। भारत में कई लोग इतने दरियादिल हैं कि वे खुद इन चैनलों पर चर्चा में भाग लेने के लिए लालायित रहते थे। उनसे कभी आलू-भिंडी के भाव पूछे जाते, कभी बिजली के बिल के बारे में जानकारी ली जाती, कभी आस-पास के इलाकों को दिखाने का आग्रह किया जाता। इस जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है।
इस्लामाबाद में रहने वाली एक कथित पत्रकार ने भारतीय दर्शकों की आंखों में खूब धूल झोंकी। उसके लाइव कार्यक्रम में एक और 'पत्रकार' प्रकट होता था। दोनों ही भारत की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। एक दिन दोनों का पर्दाफाश हो गया। असल में वे पति-पत्नी हैं और एक ही घर के अलग-अलग कमरों में बैठकर यूट्यूब लाइव में भाग लेते थे। पिछले कुछ वर्षों में दोनों ने भारत में लाखों प्रशंसक बना लिए। उस महिला पत्रकार के पति के हावभाव, बैठने के तरीके आदि पर गौर करें तो शक होता है कि वह पाकिस्तानी फौज में कोई अधिकारी है, जो भारतप्रेमी होने का ढोंग कर रहा है। सवाल है- इन पाकिस्तानी यूट्यूबरों को इतना बड़ा किसने बनाया कि ये हमारी भावनाओं से खेल सकते हैं और मौका लगने पर फर्जी खबरें भी चला सकते हैं? जवाब है- भारत के करोड़ों नागरिकों और कुछ टीवी चैनलों ने। अगर हम पहले ही सतर्क हो जाते तो ये इतने बड़े नहीं बन पाते। जिन्हें लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, पेशावर जैसे शहरों में सौ लोग नहीं जानते थे, उन्हें कुछ भारतीय चैनलों ने 'पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार', 'रक्षा विशेषज्ञ' बना दिया। पाकिस्तान के एक चर्चित टिप्पणीकार, जो आए दिन अपने मुल्क की फौज को आड़े हाथों लेते रहते हैं, के बारे में कुछ साल पहले खुलासा हुआ कि उन्होंने अपनी बेटी को फौज की दुष्प्रचार शाखा 'आईएसपीआर' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिलाया था। उसके बाद उनकी पोल खुलने लगी। दरअसल उन्हें फौज ने ही आगे बढ़ाया था। वे टीवी चैनलों पर आकर जो कुछ कहते, उसकी स्क्रिप्ट रावलपिंडी से आती थी। भारत में भी हजारों लोग उन्हें फॉलो करते हैं। इस तरह ये कथित यूट्यूबर, पत्रकार, टिप्पणीकार एक ओर तो समृद्ध होते जा रहे हैं, दूसरी ओर हमारे दुश्मन के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत सरकार को प्रतिबंधों का चाबुक ऐसे कई चैनलों पर चलाने की जरूरत है। कपट का धंधा करने वाले ये चैनल जितनी जल्दी गायब हो जाएं, उतना अच्छा है।