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सुनहरे सपनों का छलावा

यह कमाई गले का फंदा बन सकती है

सुनहरे सपनों का छलावा
विदेश में ऐसी कमाई के लालच में बिल्कुल न आएं

महाराष्ट्र पुलिस की साइबर शाखा ने म्यांमार में 60 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को 'साइबर गुलामी' से मुक्त करवाकर प्रशंसनीय काम किया है। ऊंचे वेतन वाली नौकरी के झांसे में आकर ये लोग विदेश गए, लेकिन यह सफर उनके लिए सुनहरे सपनों का छलावा ही साबित हुआ। वहां उन्हें साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया! जिन्होंने साइबर अपराधियों की बात नहीं मानी, उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उनकी आपबीती सुनकर ब्रिटिश साम्राज्यवाद के उन कपटी एजेंटों की यादें ताजा हो जाती हैं, जिन्होंने भोले-भाले लोगों को धोखा देकर उन्हें फिजी, मॉरिशस जैसे देशों में गुलाम बनाकर भेज दिया था। उनमें से कई तो वापस नहीं आ सके। अब इंटरनेट का ज़माना है। लोगों के पास देश-दुनिया की काफी जानकारी है। लिहाजा उन्हें नौकरी के नाम पर लंबे समय तक बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता। जो लोग सोशल मीडिया पर थाईलैंड, म्यांमार जैसे देशों में मोटी कमाई और कई सुविधाओं वाली नौकरी से संबंधित पोस्ट्स पर विश्वास कर चले गए और वहां साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस गए, उन्हें खुद से एक सवाल जरूर पूछना चाहिए- इन देशों की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत अच्छी नहीं है, वहां भी बेरोजगारी है, इसके बावजूद उनकी कंपनियां आपको ऊंचा वेतन देकर नौकरी के लिए क्यों बुला रही हैं? खासकर म्यांमार में जैसा माहौल है, वहां किसी भारतीय के लिए ऐसी नौकरी की कितनी संभावनाएं हैं? जो व्यक्ति विदेश में नौकरी के लिए जाना चाहता है, उसे अपने स्तर पर कुछ तो जांच-पड़ताल करनी चाहिए। यह कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। सर्च इंजन, एआई चैटबॉट समेत ढेरों विकल्प मौजूद हैं, जो कुछ ही सेकंडों में उस देश की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति का विवरण पेश कर सकते हैं।

थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। उनसे संबंधित ख़बरें ऑनलाइन उपलब्ध हैं। यह दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे यहां विदेश में नौकरी का इतना महिमामंडन कर दिया गया है कि कई युवाओं ने इसे अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना लिया है। वैध, अवैध, जो भी तरीका हो, विदेश जाना है, वहीं नौकरी करनी है। इस मानसिकता ने कई परिवारों को भारी नुकसान पहुंचाया है। पंजाब, हरियाणा में तो कई गांव ऐसे हैं, जहां के युवाओं ने 'डंकी' लगाकर अमेरिका में घुसपैठ की और यहां पटाखे जलाकर खुशियां मनाई गईं! जब से अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्ती बरतनी शुरू की है, अवैध प्रवासियों के हौसले ठंडे पड़े हैं, लेकिन विदेश जाने की इच्छा कम नहीं हुई है। अमेरिका नहीं जा सकते तो क्या हुआ? थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया में कमाई के मौके खुल गए हैं! यह कमाई गले का फंदा बन सकती है। जो लोग सोशल मीडिया पोस्ट देखकर वहां जाने की तैयारी कर रहे हैं, वे पहले उन लोगों के अनुभव जरूर पढ़ लें, जिन्हें अपनी जान बचाने के लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ी थी। शुरुआत में उनसे बहुत विनम्रतापूर्वक बातचीत की गई। एजेंटों द्वारा पासपोर्ट, टिकट जैसे इंतजाम किए गए। उन्हें थाईलैंड पहुंचकर ऐसा महसूस हुआ कि अब ज़िंदगी बेहतर होने वाली है। उसके बाद छोटी नौकाओं में बैठाकर म्यांमार भेज दिए गए और यह जानकर बड़ा झटका लगा कि एजेंटों ने उनका सौदा कर लिया है। जिन नए लोगों से सामना होता है, वे एके-47 राइफल समेत कई घातक हथियारों से लैस होते हैं। वे चाहते हैं कि 'भर्ती किए गए' लोग जल्द ऑनलाइन ठगी का काम शुरू करें और उन्हें पैसा कमाकर दें। जो उनके निर्देशों का पालन नहीं करता, उसके नाखून तक उखाड़ लेते हैं। जो ज़रा-सी ग़लती करता है, उसका वेतन काट लेते हैं। विदेश जाकर ऐसी कमाई करने से लाख गुना बेहतर है- अपने देश में कोई काम सीख लें। कम-से-कम, सुकून की रोटी तो मिलेगी। हमारे युवा सावधान रहें। विदेश में ऐसी कमाई के लालच में बिल्कुल न आएं।  

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