बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ आदिनाथ जैन मंदिर के तत्वावधान में आदिनाथ जिनालय, दादावाड़ी व भाेमियाजी मंदिर की 20वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय महाेत्सव के तीसरे व आखिरी दिन मुनिश्री मलयप्रभसागरजी व मुकुलप्रभसागरजी के सान्निध्य में ध्वजा के लाभार्थी राजेन्द्रकुमार त्रिलाेककुमार बाेथरा परिवार मलबरी सिल्क के निवास से ध्वजा की शाेभायात्रा निकाली गई।
शाेभायात्रा शांतिनगर के विभिन्न मार्गाें से हाेते हुए मंदिर पहुंची जहां संताें के सान्निध्य में ध्वजा की पूजा व 17भेदी पूजा की गई। तुषारगुरुजी ने विधि विधान करवाए तथा कमलेश एंड पार्टी ने संगीत की प्रस्तुति दी।
ध्वजा के वरघाेड़े में ध्वजा लाभार्थी परिवार सहित शांतिनगर जैन संघ के लालचन्द गाेठी, सुरेश पाेरवाड़, रमेश गाेठी, मगराज संचेती, हरीश शाह, मंत्री छगनमल लुणावत, सम्पत मेहता, बसवनगुड़ी संघ के अध्यक्ष तेजराज मालानी, महेन्द्र रांका, अरविंद काेठारी, कैलाश संकलेचा, रणजीत जैन, ललित डाकलिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
त्रिलाेकचन्द बाेथरा ने सभी का स्वागत किया। ध्वजा पूजा के दाैरान मुनिश्री मलयसागरजी ने कहा कि ध्वजा मंदिर की आन-बान और शान हाेती है। ध्वजा के लहराने से सकारात्मक उर्जा प्राप्त हाेती है। उन्हाेंने बताया कि जितना लाभ प्रभु प्रतिमा के दर्शन करने से हाेता है, उतना ही लाभ मंदिर के शिखर पर लहराती ध्वजा के दर्शन से हाेता है।
मुनिश्री ने कहा कि जैन में ध्वजा का अपना महत्त्व है। जाे व्यक्ति ध्वजाराेहण करता है उसके जीवन में सभी प्रकार के दुखाें का नाश हाे जाता है और उसकी कीर्ति, यश ध्वजा समान इस जग में फैलती रहती है। हमें अपनी लक्ष्मी का सदुपयाेग करना चाहिए। जाे व्यक्ति लक्ष्मी का उपयाेग धर्म के कार्याें में करता है, उसके यहां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।
संताें की उपस्थिति में पूरे मंत्राेच्चार व विधिविधान के बाेथरा परिवार के परिजनाें ने मंदिर के शिखर पर ध्वजाराेहण किया। ध्वजाराेहण के बाद बड़ी शांति पूजा का पाठ हुआ।