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मर्यादा और विवेकदृष्टि के बिना सोशल मीडिया का उपयोग बेहद खतरनाक: आचार्यश्री विमलसागरसूरी

यह बहुत खतरनाक परिदृश्य है

मर्यादा और विवेकदृष्टि के बिना सोशल मीडिया का उपयोग बेहद खतरनाक: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
साेशल मीडिया के इस युग में सभी तरह की सामग्री आपकाे पराेसी जाती है

शिवमाेग्गा/दक्षिण भारत। शुक्रवार काे शहर के सर एम. विश्वेश्वरैया मार्ग पर स्थित कुवेंपु रंग मंदिर में सभी जैन संप्रदायाें की संयुक्त विशाल धर्मसभा काे मार्गदर्शन देते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि साेशल मीडिया में ज्ञान के साथ अज्ञान और अमृत के साथ बहुत बड़ी मात्रा में जहर भी पराेसा जाता है। जिनके पास विवेकदृष्टि का अभाव हैं, वे अज्ञान काे ज्ञान मानकर तथा जहर काे अमृत समझकर ग्रहण कर रहे हैं और तबाह हाे रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि साेशल मीडिया काे प्राप्त कर आबाद हाेने के ख़याल मूर्खता से अधिक कुछ नहीं हैं। यहां जहां देखाे वहां मजाक-मस्ती, उद्भट वेशभूषा, फूहड़ता, विजातीय रिश्ते, गंदे नाचगान, जुआ, चाेरी, बकवास, मारपीट, बड़ाें का अपमान, धूम्रपान, शराब, हुक्का, झूठी बाताें का प्रचार, श्रद्धाभ्रष्टता, अंधविश्वास, धर्मविराेध और अपराध, सब-कुछ बेराेकटाेक प्रसारित हाेता है। 

उन्होंने कहा कि छाेटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, सभी इसमें मशगूल हैं। ऐसा लगता है कि सामूहिक पागलपन सभी पर सवार है। किसी ने पानी के कुएं ने या जलआपूर्ति में भांग डाल दी है। इस विकट स्थिति में जिनके पास विवेकदृष्टि नहीं हैं, वे इनमें खीर-नीर का भेद समझ भी नहीं पाएंगे।

उन्होंने कहा कि जिन पर किसी का अंकुश नहीं है, उन्हें तबाह हाेने से काैन बचाएगा? यह बहुत खतरनाक परिदृश्य है। कहीं न कहीं से साेशल मीडिया पर लगाम लगनी चाहिए। वरना यह असाध्य राेग परिवारवाद, समाज, धर्म और आखिरकार देश काे नष्ट कर देगा।

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि साेशल मीडिया के इस युग में सभी तरह की सामग्री आपकाे पराेसी जाती है। उस सामग्री का काेई नीति-निर्धारण नहीं है। साेशल मीडिया का काेई भी प्लेटफॉर्म मानवजाति के कल्याण और उसके व्यापक हिताें की रक्षा के लिये नहीं बना है।

उन्होंने कहा कि सभी प्लेटफॉर्म अधिक से अधिक ग्राहकाें काे अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं। यह उनकी व्यापारिक नीति है। ऐसी स्थिति में काेई भी आपके हित-अहित की चिंता नहीं करेगा। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि साेशल मीडिया का उपयाेग करने से पहले मनुष्य के पास अपनी मर्यादा का भान और गहरी विवेकदृष्टि हाें। वरना बिना लगाम के घाेड़े जैसा यह लुभावना माध्यम किसी काे भी बर्बाद कर सकता है। आज यही हाे रहा है। 

शुक्रवार काे सुबह भगवान महावीर भवन में साधना के मार्गदर्शन और संगीतमय मंत्रजाप का विशेष कार्यक्रम आयाेजित हुआ। तेरापंथ समाज के निवेदन पर आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी
मध्याह्न तेरापंथ सभा भवन पहुंचे, वहां धर्मसभा में जैनाचार्य ने संगठन, संस्कार और सदाचार पर अपने विचार प्रस्तुत किए। 

राजस्थान, गुजरात के सभी अप्रवासी समाजाें के प्रतिनिधियाें की एक बैठक भी जैनाचार्य के सान्निध्य में शाम काे महावीर भवन में आयाेजित हुई। रात्रिकालीन ज्ञानसत्र में युवाओं का मार्गदर्शन करते हुए गणि पद्मविमलसागरजी ने जीवन में मित्राें की भूमिका और उपयाेगिता पर तलस्पर्शी विवेचना की।

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