नई दिल्ली/दक्षिण भारत। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 का लक्ष्य विकास को गति देना, समावेशी विकास सुनिश्चित करना और निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना है।
राज्यसभा में आम बजट पर चर्चा का उत्तर देते हुए मंत्री ने यह भी कहा कि बजट चुनौतीपूर्ण समय में तैयार किया गया है, जब अनुमानों या पूर्वानुमानों से परे गंभीर बाह्य चुनौतियां थीं।
सीतारमण ने कहा कि इसके बावजूद सरकार ने भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए आकलन को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, 'ऐसे कोई मॉडल नहीं हैं, जिन्हें बनाकर आप समझ सकें कि रुझान कैसे होंगे, क्योंकि वे बहुत गतिशील हैं ... इसके बावजूद, हमने भारत के हितों को सर्वोच्च रखते हुए आकलन को यथासंभव करीब रखने की कोशिश की है।'
उन्होंने कहा, 'यह बहुत बड़ी अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है और कई भारतीय आयात, जो हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, वे भी अनिश्चितता के साथ रह जाएंगे।'
मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि बजट में क्षेत्रीय आवंटन में कमी नहीं की गई है और अगले वित्त वर्ष के दौरान प्रभावी पूंजीगत व्यय 19.08 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
सीतारमण ने सदन को बताया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमानों में अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से 6.4 प्रतिशत और नाममात्र रूप से 9.7 प्रतिशत बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि बजट के लिए हमने अपने लक्ष्य ऐसे रखे हैं कि हम विकास में तेजी ला सकें, समावेशी विकास सुनिश्चित कर सकें और निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा दे सकें।
मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने कोविड संकट के दौरान अर्थव्यवस्था को बहुत अच्छे से आगे बढ़ाया और देश, दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद भारत को नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना गया था।