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शरीर की स्थिरता के बिना ध्यान में उतरना संभव नहीं है: मुनिश्री माेहजीत

प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का हुआ आयाेजन

शरीर की स्थिरता के बिना ध्यान में उतरना संभव नहीं है: मुनिश्री माेहजीत
ध्यान का विशेष प्रयाेग कराया गया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के अवसर पर प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में विजयनगर प्रेक्षाध्यान केन्द्र द्वारा प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयाेजन विजयनगर स्थित अर्हम भवन में मुनिश्री माेहजीतकुमारजी के सान्निध्य में किया गया। विजयनगर प्रेक्षाध्यान केन्द्र के सदस्याें द्वारा मंगलाचरण के रूप में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा रचित गीत ‘देव दाे हस्तावलंबन आत्म का साक्षात पाऊं’ गीत का गान किया गया।

तदुपरांत प्रेक्षा प्रशिक्षक साउथ संयाेजिक एवं विजयनगर प्रेक्षाध्यान केन्द्र की संयाेजिका वीणा बैद द्वारा अर्हम मन्त्र पर ध्यान का विशेष प्रयाेग कराया गया। मुनिश्री माेहजीतकुमारजी ने कार्यशाला के विषय ’आत्मसाक्षात्कार का आधार प्रेक्षाध्यान’ विषय पर कहा कि प्रेक्षाध्यान द्वारा आत्मा की साधना करने से पूर्व अपने शरीर काे साधना अति आवश्यक है। शरीर की स्थिरता के बिना ध्यान में उतरना संभव नहीं है।

उन्हाेंने कार्यशाला मे उपस्थित श्रावक श्रविकाओं काे प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के इस महत्त्वपूर्ण अवदान काे अपने जीवन मे उतारकर इसके नियमित अभ्यास की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन प्रेक्षा प्रशिक्षक छत्रसिंह मालू ने किया तथा आभार ज्ञापन महिमा पटावरी ने किया।

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