मुंबई/दक्षिण भारत। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में शुक्रवार को लगभग पांच वर्षों में पहली बार ब्याज दरों में कटौती की है।
मई 2020 में अंतिम दर कटौती के बाद 25 आधार अंकों की कटौती कर दर को 6.25 प्रतिशत कर दिया गया है। दरों में अंतिम संशोधन फरवरी 2023 में हुआ था, जब नीति दर को 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था।
मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
ब्याज दर में कटौती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को अब तक की सबसे बड़ी कर छूट देने के एक सप्ताह के भीतर हुई है, ताकि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद खपत को बढ़ावा दिया जा सके।
मई 2022 से अब तक लगातार छह बार ब्याज दरों में 250 आधार अंकों की वृद्धि के बाद अप्रैल 2023 में ब्याज दरों में वृद्धि चक्र को रोक दिया गया है। आरबीआई द्वारा अंतिम ब्याज दर वृद्धि फरवरी 2023 में की गई थी।
बजट के बाद वित्त मंत्रालय ने ब्याज दरों में कटौती का पक्ष लेते हुए कहा कि राजकोषीय और मौद्रिक नीति को मिलकर काम करना चाहिए।
यह संकेत था कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए, क्योंकि केंद्रीय बजट में आयकर राहत सहित कई उपायों की घोषणा की गई है।
इस सप्ताह के आरंभ में वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा था कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कदम उठाए हैं और गैर-मुद्रास्फीतिकारी बजट पेश किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आरबीआई की मौद्रिक नीति विकास को समर्थन देने के लिए राजकोषीय नीति के साथ मिलकर काम करेगी।
बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग के लिए आयकर में महत्त्वपूर्ण कटौती सहित कई उपायों की घोषणा की गई, जिससे 1 करोड़ करदाताओं को लाभ होगा।