Dakshin Bharat Rashtramat

'गुरु हमारे जीवन के आधार हाेते हैं'

नरेशमुनिजी व शालिभद्रमुनिजी विहार करते हुए पहुंचे

'गुरु हमारे जीवन के आधार हाेते हैं'
शालिभद्रमुनिजी ने कहा कि व्यक्ति काे अहंकार कभी भी नहीं करना चाहिए

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। श्रमण संघीय उपप्रवर्तक नरेशमुनिजी व शालिभद्रमुनिजी विहार करते हुए शहर के यलहंका न्यू टाउन में स्थित भंवरलाल श्रीश्रीमाल परिवार के निवास पर पहुंचे, जहां श्रावक-श्राविकाओं ने मुनिद्वय का भव्य स्वागत किया। 

यहां राज महावीर रेडिमेड गारमेन्ट के सभागार में आयाेजित प्रवचन में मुनिश्री नरेशमुनिजी ने उपस्थित जनाें काे संबाेधित करते हुए कहा कि गुरु हमारे जीवन की डाेर हाेता है। गुरु हाेता है ताे ही जीवन शुरू हाेता है। गुरु ही हमारे जीवन का गुरूर हाेता है। गुरु हमारे जीवन के आधार हाेते हैं। 

उन्हाेंने अंग्रेजी भाषा के शब्दाें से गुरु की महिमा समझाते हुए कहा कि गुरु नीयर अर्थात पास में हाेना चाहिए। गुरु आपका डियर यानी प्रिय हाेना चाहिए। गुरु काे हमेशा हियर करना चाहिए अर्थात उनके कहे शब्दाें काे श्रवण कर उनका अनुसरण करना चाहिए। गुरु फियर हाेना चाहिए अर्थात गुरु से डरना चाहिए ताकि हम कभी भी गलत काम न करें। गुरु के लिए आंखाें में टीयर हाेना चाहिए अर्थात गुरु के प्रति समर्पण व आंखाें में आदर व शर्म हाेनी चाहिए। गुरु है ताे संसार है, नहीं ताे सब बेसार है। 

इस माैके पर शालिभद्रमुनिजी ने कहा कि व्यक्ति काे अहंकार कभी भी नहीं करना चाहिए। अहंकारी व्यक्ति काे काेई भी सगा नहीं हाेता। इस संसार में दाे प्रकार के अहंकारी व्यक्ति हाेते हैं। पहला वह जाे जीतते-जीतते भी अंत में सब हार जाता है। उदाहरण के ताैर पर सिकंदर ने पूरे विश्व काे जीत लिया था। वह अहंकार के कारण वह अंत में निराश हाे गया और हार गया, जबकि मीराबाई ने  सबकुछ हारकर अर्थात त्यागकर भी अपने कृष्ण काे पा लिया था यानी संसार काे जीत लिया था।

शालिभद्रजी ने अपने आगामी कार्यक्रमाें की जानकारी दी। कार्यक्रम में राजेश श्रीश्रीमाल ने सभी का स्वागत किया। इस माैके पर मरुधरा जैन संघ के अध्यक्ष जवरीलाल लुणावत, केवलचन्द जैन, हुब्बल्ली समाज के विक्रम विनायकिया, इचरकंरजी के जयंतीलाल सालेचा, सुरेशकुमार श्रीश्रीमाल, महेन्द्रकुमार श्रीश्रीमाल सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।

About The Author: News Desk

News Desk Picture