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सीआईआई के 32वें उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन में 'आत्मनिर्भर भारत' निर्माण पर जोर दिया गया

इसमें 500 से ज्यादा प्रतिनिधि, 30 से ज्यादा उद्योग साझेदार और 20 से ज्यादा प्रदर्शक शामिल हुए

सीआईआई के 32वें उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन में 'आत्मनिर्भर भारत' निर्माण पर जोर दिया गया
गुणवत्ता प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और उद्योग स्थिरता पर भारत के फोकस पर प्रकाश डाला गया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का 32वां उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन 27 और 28 नवंबर को बेंगलूरु के ताज एयरपोर्ट में हुआ। इसमें 500 से ज्यादा प्रतिनिधि, 30 से ज्यादा उद्योग साझेदार और 20 से ज्यादा प्रदर्शक शामिल हुए।

'बढ़ती प्रतिस्पर्धा: सतत विकास के लिए उत्कृष्टता' विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में गुणवत्ता प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और उद्योग स्थिरता पर भारत के फोकस पर प्रकाश डाला गया।

शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विभिन्न उद्योगों के प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया। डीजीक्यूए के महानिदेशक एन मनोहरन ने देश के रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में आत्मनिर्भर भारत के महत्त्व पर जोर दिया।

उन्होंने रक्षा मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं और दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला, जिनका उद्देश्य सशस्त्र बलों को सामान की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना और आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है। साथ ही, उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में रक्षा उद्योगों की भूमिका पर भी बल दिया।

पहला सत्र साल 2047 के लिए विनिर्माण और नए युग का उद्योग - नीति, तकनीक, रणनीति और सतत विकास अनिवार्यताओं पर आधारित था।

एन मनोहरन ने पैनल चर्चा में रक्षा विनिर्माण में उभरतीं प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर बल दिया। इस सत्र में रक्षा, प्रौद्योगिकी और उद्योग क्षेत्र के विशेषज्ञ अत्याधुनिक नवाचारों पर चर्चा करने के लिए एकसाथ आए, जो रक्षा क्षमताओं के भविष्य को आकार दे रहे हैं।

दूसरा सत्र मानक - विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और स्थिरता को बढ़ावा देने पर आधारित था। इसका संचालन डीजीक्यूए के अतिरिक्त महानिदेशक आरए गोवर्धन ने किया, जिसमें वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मानकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। सत्र में इस बात पर चर्चा की गई कि विभिन्न मानक किस प्रकार व्यापार और भावी विकास को प्रभावित करते हैं।

इस शिखर सम्मेलन ने नेटवर्किंग और सहभागिता के लिए महत्त्वपूर्ण मंच की भूमिका निभाई। इसमें विभिन्न उद्योग जगत के नेताओं ने भारत के उद्योगों के भविष्य, विशेष रूप से रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और विनिर्माण क्षेत्र के संबंध में, पर महत्त्वपूर्ण चर्चा की।

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