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बाल पोर्न देखना, डाउनलोड करना पोक्सो और आईटी कानून के तहत अपराध है: उच्चतम न्यायालय

'बाल पोर्नोग्राफी' शब्द को 'बाल यौन दुर्व्यवहार और शोषणकारी सामग्री' में बदलने पर विचार करने का सुझाव दिया

बाल पोर्न देखना, डाउनलोड करना पोक्सो और आईटी कानून के तहत अपराध है: उच्चतम न्यायालय
Photo: PixaBay

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने बाल पोर्नोग्राफी के संबंध में सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। उसने कहा कि बाल पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना पोक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध है।

सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को कानून में बदलाव लाकर 'बाल पोर्नोग्राफी' शब्द को 'बाल यौन दुर्व्यवहार और शोषणकारी सामग्री' में बदलने पर विचार करने का सुझाव दिया, और अदालतों से कहा कि वे 'बाल पोर्नोग्राफी' शब्द का प्रयोग न करें।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बाल पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत अपराध नहीं है।

पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने बाल पोर्नोग्राफी और इसके कानूनी परिणामों पर कुछ दिशानिर्देश भी निर्धारित किए।

पीठ ने कहा, 'हमने बच्चों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार पर बाल पोर्नोग्राफी के प्रभाव तथा अपराध की रिपोर्ट करने में समाज और हितधारकों की भूमिका पर भी बात की है।'

इसमें कहा गया है, 'हमने संसद को पोक्सो में संशोधन लाने का सुझाव दिया है, ताकि बाल पोर्नोग्राफी की परिभाषा को 'बाल यौन उत्पीड़न और शोषणकारी सामग्री' के रूप में संदर्भित किया जा सके। हमने सुझाव दिया है कि एक अध्यादेश लाया जा सकता है।'

शीर्ष न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया।

11 जनवरी को उच्च न्यायालय ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था, जिस पर अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप था।

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