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हेमंत सोरेन सरकार ने 'जनकल्याण' की जगह 'घुसपैठिया कल्याण' अपनाया है: शाह

अमित शाह ने झारखंड के गिरिडीह में 'परिवर्तन सभा' को संबोधित किया

हेमंत सोरेन सरकार ने 'जनकल्याण' की जगह 'घुसपैठिया कल्याण' अपनाया है: शाह
Photo: @BJP4India X account

गिरिडीह/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को झारखंड के गिरिडीह में 'परिवर्तन सभा' को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज सुबह आदिवासी क्षेत्र पलामू में एक यात्रा की शुरुआत हुई। दूसरी यात्रा गिरिडीह से चालू हो रही है। इन दोनों यात्राओं का नाम परिवर्तन यात्रा रखा है और तीन यात्राएं निकलेंगी। 

उन्होंने कहा कि ये तीनों यात्राएं झारखंड के हर क्षेत्र में परिवर्तन का संदेश देकर जाएंगी। यह परिवर्तन केवल सरकार का नहीं करना है, केवल मुख्यमंत्री का नहीं करना है। यह परिवर्तन आदिवासियों, ओबीसी और दलितों के जीवन में करना है। 

शाह ने कहा कि यहां जो सरकार है, इसने झारखंड के युवाओं के साथ अन्याय किया। इसने झारखंड के पिछड़े वर्ग के साथ अन्याय किया। इस सरकार ने झारखंड के दलितों, आदिवासियों और माताओं-बहनों के साथ अन्याय किया है।

शाह ने कहा कि कांग्रेस ने सबसे पहले 50 साल तक काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को दबा कर रखा। फिर मंडल कमीशन की रिपोर्ट इंदिरा गांधी ने लागू नहीं होने दी। राजीव गांधी ने भी इसका विरोध किया। कांग्रेस ने 70 साल तक ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता नहीं दी। मोदी ने पिछड़ा वर्ग कमीशन को संवैधानिक मान्यता दी।

शाह ने कहा कि झारखंड में जिस तरह से घुसपैठ हो रही है, अगर इसी तरह चला तो 25-30 साल में घुसपैठिए बहुमत में आ जाएंगे। एक बार झारखंड सरकार बदल दीजिए, मैं वादा करता हूं कि झारखंड में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर यहां से बाहर भेजने का काम भाजपा करेगी।

शाह ने कहा कि यह परिवर्तन यात्रा झारखंड के विकास का स्वप्न लेकर आई है। यह यात्रा मोदी के 'महान झारखंड और विकसित झारखंड' के सपने को पूरा करने का मकसद लेकर आई है। आज यहां से झारखंड के साल 2024 के चुनाव के लिए भाजपा की परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ हो रहा है। यह परिवर्तन यात्रा आने वाले दिनों में गांव-गांव जाएगी, घर-घर पहुंचेगी और परिवर्तन का संदेश देगी।

शाह ने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने 'जनकल्याण' की जगह 'घुसपैठिया कल्याण' अपनाया है। आज पाकुड़ जिले में 'हिंदू और आदिवासी झारखंड छोड़ो' जैसे नारे लगते हैं। आदिवासियों की इस भूमि को केवल और केवल नरेंद्र मोदी और भाजपा बचा सकते हैं।

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