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पिछले 10 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 3,000% से ज़्यादा बढ़ गई: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्वच्छ और हरित ग्रह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है

पिछले 10 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 3,000% से ज़्यादा बढ़ गई: मोदी
Photo: @BJP4India X account

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हरित हाइड्रोजन पर दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर अभी और यहीं महसूस किया जा रहा है। कार्रवाई का समय भी अभी और यहीं है। ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता वैश्विक नीति चर्चा का केंद्र बन गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्वच्छ और हरित ग्रह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम हरित ऊर्जा पर अपनी पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाले जी20 देशों में सबसे पहले थे। ये प्रतिबद्धताएं 2030 के लक्ष्य से 9 वर्ष पहले ही पूरी कर ली गईं। पिछले 10 वर्षों में भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 3,000 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई है। लेकिन हम ऐसी उपलब्धियों पर आराम नहीं कर रहे हैं। हम मौजूदा समाधानों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम नए और अभिनव क्षेत्रों पर भी ध्यान दे रहे हैं। यहीं पर ग्रीन हाइड्रोजन की बात सामने आती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रिफाइनरी, उर्वरक, स्टील और भारी शुल्क परिवहन जैसे कई क्षेत्रों को ग्रीन हाइड्रोजन से लाभ होगा। ग्रीन हाइड्रोजन अधिशेष अक्षय ऊर्जा के भंडारण समाधान के रूप में भी काम कर सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक योगदान के रूप में उभर रहा है। यह उन उद्योगों को डीकार्बोनाइज करने में मदद कर सकता है, जिनका विद्युतीकरण करना मुश्किल है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यह सम्मेलन बेहतरी के लिए कई विचारों के आदान-प्रदान में सहायक होगा। मानवता ने अतीत में कई चुनौतियों का सामना किया है। हर बार हमने सामूहिक और अभिनव समाधानों के माध्यम से प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त की है। सामूहिक और अभिनव कार्यों की इसी भावना के साथ, हम एक टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम नए और अभिनव क्षेत्रों पर विचार कर रहे हैं। यहीं पर ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका सामने आती है। ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक योगदान के रूप में उभर रही है। यह उन उद्योगों को डीकार्बोनाइज़ करने में मदद कर सकती है, जिन्हें विद्युतीकृत करना मुश्किल है।

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