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इनके लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है

फ्रांस की चार्लोट चोपिन लंबी उम्र और अच्छी सेहत का श्रेय नियमित योगाभ्यास को देती हैं

इनके लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है
Photo: @narendramodi X account

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। चार्लोट चोपिन की योगयात्रा मुख्यत: उन लोगों के लिए एक बड़ा प्रेरणास्रोत हो सकती है, जो मानते हैं कि योग का अभ्यास करना युवावस्था में ही सीखा जा सकता है। चोपिन ने उस समय योग करना शुरू किया था, जब उनकी उम्र 50 साल थी। आज 101 साल की उम्र में भी उनका उत्साह कायम है।

चार्लोट चोपिन का जन्म फ्रांस के चेर प्रांत के एक छोटे से शहर लेरे में वर्ष 1922 में हुआ था। उनका कहना है कि वे अपनी लंबी उम्र और अच्छी सेहत का श्रेय नियमित योगाभ्यास को देना चाहेंगी। वे इसे जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का साधन बताती हैं। 

चार्लोट चोपिन आज भी लोगों को योगाभ्यास करना सिखाती हैं। लोग दूर-दूर से उनके पास योगाभ्यास सीखने आते हैं। वे फ्रांस में योग का पर्याय बन चुकी हैं। उन्हें अपने देश के मशहूर टीवी शो 'फ्रांस गॉट इनक्रेडिबल टैलेंट' में भी बुलाया गया था।

पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस यात्रा पर गए थे तो उन्होंने चार्लोट चोपिन से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री ने फ्रांस में योग को बढ़ावा देने में उनकी 'गहरी आस्था और अभूतपूर्व कार्य' की सराहना की थी।

चार्लोट चोपिन के बारे में कहा जाता है कि इनके लिए उम्र सिर्फ़ एक संख्या है। एक सौ एक साल की उम्र में भी उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने 50 साल की उम्र में योग करना जरूर सीखा, लेकिन जल्द ही इसमें निपुण हो गईं।

चार्लोट चोपिन ने साल 1982 में योग सिखाना शुरू किया था। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। यूरोप के अन्य देशों से भी लोग उनसे योग सीखने के लिए आने लगे थे। इनमें आम नागरिकों के अलावा राजनीति, खेलकूद और सिनेमा उद्योग के कई बड़े नाम शामिल थे।

चार्लोट चोपिन के करीबी लोग बताते हैं कि उनकी ऊर्जा बेजोड़ है। वे अपने सारे काम खुद करती हैं। इनमें पेरिस में अपने दोस्तों से मिलने जाने से लेकर शॉपिंग करना तक शामिल है। वे उन योगाभ्यासकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें पश्चिम में योग के प्रचार-प्रसार का श्रेय दिया जाता है। 

चार्लोट चोपिन को इस योगदान के लिए साल 2024 में भारत ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया। 

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