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कुदरत का इन्साफ

पाकिस्तान में आटे का ऐसा गंभीर संकट कम से कम दो वर्षों से जारी है

कुदरत का इन्साफ
दाल, सब्जियों, फलों, दवाइयों आदि की कीमतों में बेतहाशा इजाफा हुआ है

पीओके में तेजी से बिगड़ रहे हालात को देखकर यही कहा जा सकता है- 'वक़्त करता है परवरिश बरसों, हादसा एकदम नहीं होता।' पाकिस्तान ने इस इलाके पर अवैध कब्जा तो किया, लेकिन वह लोगों को रोटी नहीं दे सका। उसने जिस तरह संसाधनों की लूट मचाई, उससे लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। पाक फौज सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने की चाहे जितनी कोशिशें कर ले, लेकिन अब बात सबके सामने आ गई है। कहने को तो यही कहा जा रहा है कि 'प्रदर्शनकारियों से हुईं झड़पों में एक-दो लोगों ने जान गंवाई है, कुछ लोग घायल हुए हैं और हालात काबू में हैं', लेकिन जिस स्तर पर भिड़ंत हुई है, उससे ये दावे फर्जी ही लगते हैं। जनता आटा चाहती है, लेकिन पाक फौज गोलियां बरसा रही है। पाकिस्तान के साथ कुदरत ने क्या खूब इन्साफ किया है, कश्मीर मांगते-मांगते आटा मांगने की नौबत आ गई! अगर उसने 'कश्मीर राग' अलापना बंद नहीं किया और आतंकवाद से तौबा नहीं की तो उसका विखंडन भी हो सकता है। अतीत में पाक ने फर्जी खबरें फैलाकर भारत के खिलाफ खूब दुष्प्रचार किया था। वह कश्मीर घाटी में लोगों को उकसाता था। वह खुद को इस तरह पेश करता था, गोया 'पीओके में चवन्नी लीटर दूध, रुपया पसेरी घी, ढाई रुपए तोला सोना है ... रोटियां तो मुफ्त मिलती हैं ... लोगों के दिलों में कोई लालच नहीं है ... हर कोई बड़े सुकून में है ... और पाक फौज के जवान ... उनकी तो कुछ न पूछिए ... वे चौबीसों घंटे हाथों में फूलों के बड़े-बड़े हार लिए खड़े होते हैं कि कब हमारा कोई प्यारा भाई इधर आए और यह हार उसके गले में डालें!' इस दुष्प्रचार के कारण जम्मू-कश्मीर से कई लोग पीओके चले भी गए थे। वहां पाक फौज लोगों को फूलों के हार तो नहीं पहना रही, अलबत्ता लट्ठ खूब बरसा रही है! घी-दूध तो भूल ही जाइए। आटे के भी लाले पड़े हैं!

पाकिस्तान में आटे का ऐसा गंभीर संकट कम से कम दो वर्षों से जारी है। महंगाई आसमान छू रही है। दाल, सब्जियों, फलों, दवाइयों आदि की कीमतों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। आटे के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। लोगों को ज्यादा दाम चुकाने पर भी आटा नहीं मिल रहा है। इसलिए वे अपना गुस्सा फौज और पुलिस पर उतार रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अपने वातानुकूलित कक्षों में बैठकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कर्ज लेने की तरकीब लगा रहे हैं, ताकि अपने बैंक-बैलेंस में एक जीरो और बढ़ा सकें। अब पीओके में हिंसा भड़कने से उन्हें कुछ फिक्र जरूर हुई है। अगर जल्द कोई राहत नहीं दी तो पीओके की आग जीएचक्यू (सेना मुख्यालय) तक पहुंच जाएगी। उसकी चपेट में इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर, क्वेटा ... सब आएंगे। पाक फौज का इतिहास जुल्म और ज्यादती करने की घटनाओं से भरा हुआ है, लेकिन पांच करोड़ लोग भी सड़कों पर उतर आए तो सबकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी। पाक फौज के अधिकारियों ने पीओके और बलोचिस्तान में लूटमार से खूब दौलत कमाई है। ये दोनों इलाके प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल हैं, लेकिन उनका फायदा स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा है। पीओके में जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इसके बावजूद स्थानीय लोगों के लिए बिजली बहुत महंगी है। बलोचिस्तान में गैस के भंडार हैं। उनका फायदा अन्य राज्यों के बड़े शहरों को मिल रहा है, लेकिन आम बलोच लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाने को मजबूर है। पाक फौज ने बलोचिस्तान को तस्करी का अड्डा बना रखा है। वहां से रोजाना सैकड़ों वाहन ईरान जाकर पेट्रोल-डीजल लाते हैं। चूंकि अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं, इसलिए तेल की यह खरीद चोरी-छिपे होती है। जो भी वाहन इस सिलसिले में ईरान जाता है, उससे फौज मोटी रकम रिश्वत में लेती है। इस तरह हर महीने करोड़ों रुपए की 'ऊपरी आमदनी' होती है, जो आतंकवाद का प्रसार करने से लेकर दुबई, लंदन, न्यूयॉर्क आदि में संपत्तियां खरीदने के काम आती है। जिस दिन पूरे पाकिस्तान में जनता अपना हक मांगने के लिए सड़कों पर उतरेगी, सरकार और फौज के बड़े-बड़े चेहरे पहली फ्लाइट पकड़कर इन्हीं शहरों में नजर आएंगे।

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