उल्टी पड़ गई चाल

जब से मुइज्जू मंडली ने अनर्गल बयानबाजी शुरू की, भारतीय सेलिब्रिटी वर्ग ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया

जहां जाने से लोग हमें देखकर खुश न हों, जिनकी आंखों में स्नेह न हो, वहां सोना भी बरसे तो नहीं जाना चाहिए

मालदीव के पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैसल के बयान से स्पष्ट होता है कि इस देश के कुछ नेताओं ने भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने के लिए जो चाल चली, वह उनके लिए ही उल्टी पड़ गई। 'मुइज्जू मंडली' ने भारतीय प्रधानमंत्री और सनातन संस्कृति के बारे में जिस तरह ओछी टिप्पणियां कीं, उसके बाद मालदीव के खजाने पर चोट पड़नी ही थी। मुइज्जू मंडली को लगा होगा कि वे 'भारतविरोधी बयानबाजी कर सत्ता में आ गए, अब कुछ और 'नमक-मिर्च' लगाते हुए उल्टी-सीधी टिप्पणियां करेंगे तो और कुछ हो या न हो, चीन, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश हमें हाथोंहाथ लेंगे।' मालदीव के उन नेताओं को यह भी भ्रम था कि 'वे भारत के बारे में उकसाने वाली और अपमानजनक टिप्पणियां कर देंगे, तो कोई कठोर प्रतिक्रिया नहीं आएगी ... एक-दो दिन सोशल मीडिया में चर्चा होगी, उसके बाद भारतीय पर्यटक यहीं घूमने आएंगे!' इस मामले में भारतीयों ने जिस तरह एकजुटता दिखाई, वह प्रशंसनीय है। विदेश घूमने, समुद्री लहरों का आनंद लेने और आकर्षक तस्वीरें पोस्ट करने से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है- आत्मसम्मान। तुलसीदासजी तो बहुत पहले कह गए कि जहां जाने से लोग हमें देखकर खुश न हों, जिनकी आंखों में स्नेह न हो, वहां सोना भी बरसे तो नहीं जाना चाहिए। मुइज्जू मंडली ने 'अति' कर दी थी। उससे पहले तो भारतीय वहां खूब जा रहे थे। इससे मालदीव में पर्यटन का कारोबार अच्छा चल रहा था। बल्कि यह कहना ज्यादा सही रहेगा कि मालदीव के पर्यटन को भारतीय सेलिब्रिटी वर्ग ने इतना ऊपर पहुंचाया है। सिनेमा से जुड़े बड़े-बड़े नाम मालदीव जाकर हफ्तों रहते और अपने वीडियो के जरिए इस देश के 'प्राकृतिक सौंदर्य' का प्रचार-प्रसार करते थे।

जब से मुइज्जू मंडली ने अनर्गल बयानबाजी शुरू की, भारतीय सेलिब्रिटी वर्ग ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया। उनमें से कई लोगों ने तो अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से मालदीव के उन नेताओं को आड़े हाथों भी लिया। सेलिब्रिटी वर्ग के मालदीव न जाने के पीछे एक बड़ी वजह भारतीयों द्वारा चलाया जा रहा 'बहिष्कार' ट्रेंड भी था। अगर उस माहौल में कोई कलाकार मालदीव जाकर वहां के नजारों का लुत्फ उठाते हुए तस्वीरें-वीडियो पोस्ट करता तो यहां अच्छा संदेश नहीं जाता। सेलिब्रिटी वर्ग को जनता की नाराजगी महंगी पड़ सकती है। इसका सीधा असर आगामी फिल्म या धारावाहिक पर हो सकता है। सामान्य पर्यटकों ने भी मालदीव की टिकटें खूब निरस्त करवाई थीं। आज जब मालदीव के पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैसल भारत के साथ ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए कहते हैं कि 'हमारा एक इतिहास है ... हमारी नवनिर्वाचित सरकार भी मिलकर (भारत के साथ) काम करना चाहती है ... हम हमेशा शांति और मैत्रीपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देते हैं ... हमारे लोग और सरकार आने वाले भारतीयों का गर्मजोशी से स्वागत करेंगे ... पर्यटन मंत्री के तौर पर मैं भारतीयों से कहना चाहता हूं कि कृपया मालदीव के पर्यटन का हिस्सा बनें ... हमारी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर करती है’, तो पता चलता है कि भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा चलाया गया 'बहिष्कार' ट्रेंड कितना असरदार साबित हुआ है! इब्राहिम फैसल को अपने नेताओं से पूछना चाहिए कि उन पर कैसी सनक सवार हुई कि उन्होंने वर्षों पुराने संबंधों को पलीता लगा दिया? इसकी क्या जरूरत थी? भारत सरकार और भारतवासी तो हमेशा आपका सहयोग करते रहे हैं। इसके बावजूद आपके नेता संबंध बिगाड़ने को इतने आमादा क्यों थे? क्या इसलिए कि चीन कुछ 'मदद' करेगा, तुर्की तालियां बजाएगा और पाकिस्तान वाहवाही करेगा? पर्यटक आपको भारत से चाहिएं, कमाई भारत से चाहिए, मुसीबत में सहयोग भी भारत से चाहिए, लेकिन आप भारतविरोधी बातें करें, भारतविरोधियों के सुर में सुर मिलाएं ... उसके बाद भारतवासियों से कहें कि 'मालदीव के पर्यटन का हिस्सा बनें'! यह नहीं हो सकता। पहले मुइज्जू मंडली अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगे, भारतविरोधी कदम वापस ले और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ये बातें दोहराई नहीं जाएंगी। भारतीयों के लिए आत्मसम्मान बहुत मायने रखता है। इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।

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