भ्रम में न रहे पाक

निस्संदेह भारत ने कभी किसी देश की जमीन नहीं हड़पी और न किसी पर आक्रमण की पहल की

'अगर कोई आतंकवादी पाकिस्तान भागने की कोशिश करता है तो हम उसका पीछा करेंगे'

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की 'आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर' मार गिराने संबंधी टिप्पणी पर पाकिस्तान का बौखलाना 'चोर की दाढ़ी में तिनका' को चरितार्थ करता है। भारतीय रक्षा मंत्री ने यह तो नहीं कहा कि हमारी सेनाएं अकारण ही किसी देश की सीमाओं का उल्लंघन करेगी! फिर पाकिस्तान को इस पर क्या आपत्ति है? क्या वह स्वीकार करता है कि उसके यहां आतंकवादी छुपे बैठे हैं? उसे तो भारत का एहसान मानना चाहिए कि जो खूंखार आतंकवादी अब उसके लिए ही सिरदर्द बन चुके हैं, उनका संहार करने में भारतीय सुरक्षा बल हर प्रकार से सक्षम और समर्थ हैं। निस्संदेह भारत ने कभी किसी देश की जमीन नहीं हड़पी और न किसी पर आक्रमण की पहल की। अगर पाकिस्तान के सन्दर्भ में ही देखें तो वर्ष 1947, 1965, 1971 और 1999 जैसे युद्धों में पहला वार उसकी ओर से ही हुआ था। भारत ने तो आत्मरक्षा के लिए जवाब दिया था। पाकिस्तान की ओर से बार-बार हमलों, आतंकवादी घटनाओं के बाद भारत का मिज़ाज बदल गया है, जो स्वाभाविक है। राजनाथ सिंह के शब्दों पर आपत्ति जताने के बजाय पाक को यह समझना होगा कि अगर उसकी ओर से ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है तो भारत के पास आत्मरक्षा के लिए जवाब देने का अधिकार सुरक्षित है। वर्ष 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की एयर स्ट्राइक के बाद दुनिया के रुख से यह स्पष्ट हो चुका है। उक्त दोनों कार्रवाइयों के बाद पाकिस्तान ने खूब शोर मचाया था, दुनिया के सामने खुद को पीड़ित दिखाकर सहानुभूति पाने की कोशिश की थी, लेकिन एक-दो देशों के अलावा उसके पक्ष में किसी ने बयान नहीं दिया था। पाकिस्तान जानता है कि अतीत में भारत की अति-उदारता का उसने भरपूर फायदा उठाया है। उसने भारत पर युद्ध थोपे, अनगिनत आतंकवादी हमले किए, लेकिन इनके बदले उसे बहुत बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़ी थी। इससे वह उद्दंड बन गया।

पिछले कुछ वर्षों से भारत के रुख में काफी सख्ती देखने को मिल रही है। अब पाकिस्तान को कीमत चुकानी पड़ रही है। उसकी अर्थव्यवस्था खस्ता-हाल है। उसके पूर्व सेना प्रमुख जनरल बाजवा भी स्वीकार कर चुके हैं कि पाक फौज के पास पर्याप्त ईंधन तक नहीं है। ऐसे में यह पड़ोसी देश बड़ा युद्ध नहीं लड़ सकता। अलबत्ता अपने आतंकवादी जरूर भेज सकता है, जिन्हें समय-समय पर भारतीय सुरक्षा बल ढेर करते रहते हैं। पाकिस्तान को यह बात समझनी होगी कि अब वह जमाना नहीं रहा, जब रावलपिंडी हमले करती थी और दिल्ली उन्हें बर्दाश्त कर लेती थी। अब यहां से बहुत सख्त जवाब दिया जाएगा। उसे भारतीय रक्षा मंत्री के इन शब्दों को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए कि 'अगर कोई आतंकवादी पाकिस्तान भागने की कोशिश करता है तो हम उसका पीछा करेंगे और पाकिस्तान की सरजमीं पर भी उसे मार गिराएंगे।' पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के आकाओं को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि वे साजिशें रचते रहेंगे और भारत खामोशी से बर्दाश्त करता रहेगा। वे उरी हमले के बाद इसी भ्रम में थे, जो भारतीय सेना ने तोड़ दिया। भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में जो एयर स्ट्राइक की थी, उससे पाक को भारी नुकसान हुआ था। बड़ी संख्या में उसके आतंकवादी मारे गए थे। कई रक्षा विशेषज्ञ तो यह भी दावा करते हैं कि उसमें जैश के शीर्ष आतंकवादियों का सफाया हो गया था। अगर पाकिस्तान ने फिर कोई दुस्साहस किया तो उसे यह बात याद रखनी चाहिए कि उसका अंजाम बहुत भयानक होगा। आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि पाकिस्तान को 'सुधरने' के कई मौके दिए जाने के बावजूद उसमें कोई सुधार नहीं हुआ, क्योंकि वह हमेशा उद्दंड बना रहना चाहता है। उसके प्रति भारत की सख्ती ही शांति स्थापना का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

About The Author: News Desk