नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारतीय नौसेना ने एक बार फिर देश को गर्व महसूस कराया है। उसने एक ऑपरेशन में शनिवार को भारतीय तट से लगभग 1,400 समुद्री मील दूर एक व्यापारिक जहाज पर सवार 35 समुद्री डाकुओं को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया।
नौसेना के अधिकारियों ने बिना किसी चोट के चालक दल के 17 सदस्यों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की गई।
नौसेना ने अपने पी-8आई समुद्री गश्ती विमान, फ्रंटलाइन जहाज आईएनएस कोलकाता और आईएनएस सुभद्रा, हाई अल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्यूरेंस (एचएएलई) मानव रहित हवाई वाहन को तैनात किया था। इसके बाद सी-17 विमान से मार्कोस कमांडो को उतारा गया, जिन्होंने समुद्री डाकुओं को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।
नौसेना बताया कि उसने सोमालिया के पूर्वी तट के पास समुद्र में जहाजों का अपहरण करने के सोमाली समुद्री डाकुओं के एक समूह के प्रयासों को विफल कर दिया।
जहाज को 15 मार्च को भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने रोक लिया था। नौसेना ने कहा कि समुद्री लुटेरों ने भारतीय युद्धपोत पर गोलीबारी की, जिसने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आत्मरक्षा में और समुद्री डकैती का मुकाबला करने के लिए उचित कार्रवाई की और नौवहन और नाविकों के लिए समुद्री डाकुओं के खतरे को बेअसर करने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया।
नौसेना ने एक बयान में कहा कि जहाज पर सवार समुद्री लुटेरों से आत्मसमर्पण करने और जहाज तथा उनकी इच्छा के विरुद्ध पकड़े गए किसी भी नागरिक को रिहा करने के लिए कहा गया।
उसने कहा, 'भारतीय नौसेना, क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और नाविकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।'
शुक्रवार को, नौसेना ने कहा कि एक भारतीय युद्धपोत और एक लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान ने बांग्लादेशी ध्वज वाले मालवाहक जहाज का अपहरण होने के बाद उसे सहायता प्रदान की।
सशस्त्र समुद्री डाकुओं द्वारा बंधक बनाए गए चालक दल की सुरक्षा का पता लगाया गया और भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने सोमालिया के क्षेत्रीय जल में पहुंचने तक जहाज के करीब अपनी उपस्थिति बनाए रखी।
पिछले कुछ हफ्तों में, भारतीय नौसेना ने पश्चिमी हिंद महासागर में कई व्यापारिक जहाजों पर हुए हमलों के बाद उन्हें सहायता उपलब्ध कराई।