लादेन के समय से ही तालिबान के साथ काम कर रहा पाक, फिर कैसे बिगड़े रिश्ते?

भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आतंकवादी मारे जा चुके हैं

अब पाकिस्तान हताश प्रतीत होता है, क्योंकि तालिबान पर उसकी पकड़ ढीली पड़ गई है

वॉशिंगट/भाषा। अमेरिका में भारतीय समुदाय की एक संस्था ने अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान से लाखों अफगान नागरिकों को निकाले जाने की कार्रवाई को रोकने और पाक सरकार के इस कदम की निंदा करने की अपील की है। संस्था ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोकने का भी अनुरोध किया है।

पाकिस्तान के फैसले की निंदा करते हुए ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीस) ने कहा कि यह अवैध है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।

एफआईआईडीएस में नीति एवं रणनीति मामलों के प्रमुख खंडेराव कांड ने कहा, ‘तालिबान के बर्बर शासन से डरकर पलायन करने वाले अफगान शरणार्थियों को सुनियोजित तरीके से जबरन निकालने की पाकिस्तान इस्लामिक गणराज्य की योजना न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक अवैध है, बल्कि इससे भीषण मानवीय संकट भी उत्पन्न हो सकता है।’

उन्होंने कहा, ‘ओसामा बिन लादेन के समय से ही यह ज्ञात था कि पाकिस्तान तालिबान के साथ मिलकर काम करता है, क्योंकि यह अफगानिस्तान पर पकड़ बनाने का उसका छद्म तरीका रहा है। अब पाकिस्तान हताश प्रतीत होता है, क्योंकि तालिबान पर उसकी पकड़ ढीली पड़ गई है।’

एफआईआईडीएस ने कहा कि पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के साथ वही करने की कोशिश कर रहा है, जो इससे पहले वह अपने हिंदू एवं सिख अल्पसंख्यक नागरिकों के साथ कर चुका है।

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