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हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा: मोदी

प्रधानमंत्री ने 'यशोभूमि' में नौवें जी20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया

हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा: मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शांति और भाईचारे का समय है, साथ मिलकर चलने का समय है

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां 'यशोभूमि' में नौवें जी20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि मैं आप सबका 140 करोड़ भारतीयों की ओर से हार्दिक स्वागत करता हूं। यह सम्मेलन एक प्रकार से दुनियाभर की अलग-अलग संसदीय प्रथाओं का महाकुंभ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में यह त्योहारी सीजन होता है। इन दिनों पूरे देश में बहुत सारी त्योहारी गतिविधियां चलती रहती हैं, लेकिन जी20 ने इस बार त्योहारी सीजन के उत्साह को पूरे साल बनाए रखा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन उस भारत भूमि पर हो रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया के विभिन्न संसदों के प्रतिनिधि के तौर पर आप जानते हैं कि संसद परिचर्चा और विचार-विमर्श का महत्वपूर्ण स्थान होती है।

हमारे यहां हजारों वर्ष पहले भी परिचर्चा और विचार-विमर्श के बहुत ही सटीक उदाहरण हैं। समय के साथ भारत की संसदीय प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार हुआ है। ये प्रक्रियाएं और सशक्त हुई हैं। भारत में हम लोग आम चुनावों को सबसे बड़ा पर्व मानते हैं। साल 1947 में आजादी मिलने के बाद से अब तक भारत में 17 आम चुनाव और 300 से अधिक राज्य विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2019 के आम चुनाव में देशवासियों ने मेरी पार्टी को लगातार दूसरी बार विजयी बनाया है। साल 2019 का आम चुनाव मानव इतिहास का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास था। इसमें 60 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ भारत ने चुनाव प्रक्रिया को आधुनिक टेक्नोलॉजी से भी जोड़ा है। भारत करीब 25 साल से ईवीएम का इस्तेमाल कर रहा है। इसके उपयोग से हमारे यहां चुनाव में पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया में क्षमता, दोनों बढ़ी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शांति और भाईचारे का समय है, साथ मिलकर चलने का समय है, साथ आगे बढ़ने का समय है। यह सबके विकास और कल्याण का समय है। हमें वैश्विक विश्वास के संकट को दूर करना होगा और मानव केंद्रित सोच पर आगे बढ़ना होगा। हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा।

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