कर्नाटक में गृह ज्योति मुफ्त बिजली योजना के लिए नामांकन 15 जून से शुरू होंगे: ऊर्जा मंत्री

आवेदकों को लाभ लेने के लिए इस बात का सबूत अपलोड करना होगा कि वे इमारत के निवासी हैं

राज्य में 2.16 करोड़ उपभोक्ता हैं, जो 200 यूनिट से कम बिजली का उपयोग करते हैं

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने वाली गृह ज्योति योजना शुरू करने के दो दिन बाद कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री केजे जॉर्ज ने बुधवार को कहा कि लाभ प्राप्त करने के लिए नामांकन 15 जून से शुरू होंगे।

उन्होंने कहा कि जो लोग यह सुविधा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें 15 जून से 5 जुलाई तक राज्य सरकार के सेवा सिंधु पोर्टल के माध्यम से नामांकन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आवेदकों को लाभ लेने के लिए इस बात का सबूत अपलोड करना होगा कि वे इमारत के निवासी हैं।

जॉर्ज के अनुसार, योजना के लिए पंजीकरण करने के वास्ते सेवा सिंधु आवेदन में जिन दस्तावेजों को अपलोड करने की आवश्यकता है, उनमें से कोई भी दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, शीर्षक विलेख या पट्टे या किराए का समझौता है। मंत्री ने कहा कि अगले दो दिनों में नई इमारतों या नए किराएदारों को शामिल करने के लिए नीति लाई जाएगी।

योजना के अनुसार, बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियां पिछले वित्तीय वर्ष में बिजली की औसत खपत का निर्धारण करेंगी, जिसके आधार पर प्रत्येक उपभोक्ता की औसत खपत की गणना की जाएगी। अगर यह 200 यूनिट से कम है तो 10 प्रतिशत और जोड़ा जाएगा।

यह औसत खपत मुफ्त होगी और शेष 200 यूनिट तक की खपत पर शुल्क लगेगा। मान लीजिए कि एक उपभोक्ता औसतन 150 यूनिट बिजली का उपयोग करता है, तो वह 165 यूनिट तक बिजली मुफ्त पाने का पात्र होगा। 200 यूनिट तक किसी भी अतिरिक्त खपत का शुल्क लिया जाएगा। 200 यूनिट से अधिक खपत करने वाले को पूरे बिल का भुगतान करना होगा।

मंत्री के अनुसार, राज्य में 2.16 करोड़ उपभोक्ता हैं, जो 200 यूनिट से कम बिजली का उपयोग करते हैं, जबकि केवल दो लाख उपभोक्ता हैं जो 200 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करते हैं।

जॉर्ज ने यह भी कहा कि घरेलू बिजली की औसत खपत 53 यूनिट है। उन्होंने कहा कि इस योजना से राज्य के खजाने पर कम से कम 13,000 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।

जॉर्ज ने कहा, हम किसी को बाहर करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हम इस योजना में और लोगों को शामिल करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य मध्यम वर्ग को भी राहत देना है, जो मूल्य वृद्धि से प्रभावित है।

ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार खपत पैटर्न के आधार पर औसत इकाई खपत की गणना के लिए आधार वर्ष बदलने पर विचार कर सकती है।

उन्होंने कहा, 'खपत के पैटर्न के आधार पर हम एक नया औसत साल तय करने के बारे में सोच सकते हैं।'

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