Dakshin Bharat Rashtramat

अंधविश्वास और अज्ञान

कई भोले-भाले लोग उसके झांसे में आ गए और ईश्वर से मिलने की चाहत में खाना-पीना पूरी तरह से छोड़ दिया

अंधविश्वास और अज्ञान
अंधविश्वास का फायदा उठाकर पॉल जैसे लोग दूसरों का जीवन संकट में डालते हैं

'विश्वास' और 'अंधविश्वास' में मात्र दो अक्षरों का अंतर है, लेकिन जीवन बनाने और बिगाड़ने के लिए यह पर्याप्त है। यूं तो जीवन के हर फैसले के साथ विवेक का होना जरूरी है, लेकिन भक्ति के साथ इसका होना अनिवार्य है। विवेकहीनता से अंधविश्वास पैदा होता है, जो मनुष्य को पतन की ओर लेकर जा सकता है। फिर चाहे उसका क्षेत्र कोई भी हो। 

अफ्रीकी देश केन्या में एक धर्मगुरु पॉल मैकेंजी ने अपने अनुयायियों को भक्ति के नाम पर जिस तरह अंधविश्वास में धकेला, वह हर किसी के लिए एक सबक है। ऐसे लोगों के जाल में फंसने से बेहतर है कि समय रहते बुद्धि एवं विवेकपूर्वक विचार कर उनसे स्वयं दूर रहें और दूसरों को भी जागरूक करें। पॉल का दावा था कि वह ईश्वर से मुलाकात करवा सकता है। लेकिन कैसे? इसके लिए उसने तरीका बताया कि मरते दम तक भूखे रहें! 

कई भोले-भाले लोग उसके झांसे में आ गए और ईश्वर से मिलने की चाहत में खाना-पीना पूरी तरह से छोड़ दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि कई लोगों की मौत हो गई। अब तब 60 शव बरामद हो चुके हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कुछ शव और मिल सकते हैं। जो लोग उसके शब्दजाल में फंसे, उन्हें कम-से-कम यह तो विचार करना चाहिए था कि पॉल उनका खाना-पीना बंद करवा रहा है, वह अपना खाना-पीना क्यों नहीं बंद कर रहा है? वह खुद तो बड़े आराम से रह रहा था।

अंधविश्वास का फायदा उठाकर पॉल जैसे लोग दूसरों का जीवन संकट में डालते हैं। भारत में भी समय-समय पर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं कि जब किसी को धनवर्षा का लालच देकर ठग लिया। किसी ने अपनी अंगुली काटकर आराधना स्थल पर चढ़ा दी। कुछ साल पहले एक शख्स ने प्राचीन कथा पढ़कर अपनी बेटी की गर्दन काट दी थी। 

एक लड़का, जिसके दोनों हाथों में एक-एक अंगुली ज़्यादा थी, तो रिश्तेदार उसकी बलि चढ़ाने की तैयारी करने लगे, क्योंकि उन्हें किसी ने बता दिया कि एक खास तिथि को ऐसा करने से वे मालामाल हो जाएंगे। इसके लिए उन्होंने मुहूर्त निकलवा लिया था। प्राय: ऐसी ख़बरें पढ़ने को मिलती रहती हैं कि धन दुगुना करने के नाम पर कोई व्यक्ति पूरी बचत और गहने लेकर फरार हो गया। धन दुगुना होना तो दूर, जो पास था, वह भी गंवा दिया। 

इसी तरह करीब डेढ़ दशक पहले एक मामला चर्चा में रहा था, जब एक परिवार ने अपने कष्टों से निजात पाने के लिए भोजन का पूरी तरह त्याग कर दिया था। उन्होंने बच्चों को भी इसमें शामिल कर लिया था, जिसके बाद कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई और जान भी चली गई। यह सब अंधविश्वास है। इसका धर्म, अध्यात्म और ईश्वर से कोई लेना-देना नहीं है। 

ईश्वर पर विश्वास रखना अच्छी बात है, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि सही और ग़लत का अंतर समझना छोड़ दें। ईश्वर की प्रसन्नता के लिए जान देने, खून बहाने, खुद को या दूसरों को मुसीबत में डालने की कोई जरूरत नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि भलाई करें, दूसरों का जीवन बचाएं, किसी को मुसीबत से बचाएं, जो धरती हमें मिली है, उसे बेहतर बनाकर जाएं। अंधविश्वास और अज्ञान से आज तक किसी का कल्याण नहीं हुआ और न कभी होगा।

About The Author: News Desk

News Desk Picture