परंपराएं हों या प्रेरणाएं, कर्नाटक के बिना भारत को परिभाषित नहीं कर सकते: मोदी
प्रधानमंत्री ने 'बरिसु कन्नड़ दिम दिमावा' सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन किया
'कोई मिशन अयोध्या से शुरू होकर रामेश्वरम जाता है तो उसे ताकत कर्नाटक में ही मिलती है'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'बरिसु कन्नड़ दिम दिमावा' सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज दिल्ली कर्नाटक संघ के 75 वर्षों का यह उत्सव ऐसे समय में हो रहा है, जब देश भी आजादी के 75 वर्ष का 'अमृत महोत्सव' मना रहा है। जब हम 75 वर्ष पहले की परिस्थितियों को देखते हैं और आकलन करते हैं तो इस प्रयास में हमें भारत की अमर आत्मा के दर्शन होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 साल पहले दिल्ली कर्नाटक संघ का संविधान, भारत को एकजुट करने के लिए एक मिशन शुरू करने के वास्ते उस समय लोगों की इच्छा को अभिव्यक्त करता है। मैं कर्नाटक के लोगों को भी राष्ट्र निर्माण के उनके प्रयासों के लिए प्रणाम करता हूं।प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज आजादी के अमृतकाल के पहले प्रहर में देश की वो ऊर्जा और समर्पण उतना ही जीवंत नजर आता है। मैं इस अवसर पर इस संघ का सपना देखने वाली और साकार करने वाली सभी महान विभूतियों को नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की परंपराएं हों या भारत की प्रेरणाएं हों, कर्नाटक के बिना हम भारत को परिभाषित नहीं कर सकते हैं। पौराणिक काल से भारत में कर्नाटक की भूमिका तो हनुमान की रही है। हनुमान के बिना न राम होते हैं, न रामायण बनती है। युग परिवर्तन का कोई मिशन अगर अयोध्या से शुरू होकर रामेश्वरम जाता है, तो उसको ताकत कर्नाटक में ही मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत जी-20 जैसे बड़े वैश्विक समूह की अध्यक्षता कर रहा है, तो लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारे आदर्श हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। 'अनुभव मंटपा' के जरिए भगवान बसवेश्वरा के वचन, उनके लोकतांत्रिक उपदेश भारत के लिए एक प्रकाश की तरह हैं। कर्नाटक परंपराओं की धरती भी है और टेक्नोलॉजी की धरती भी है। यहां ऐतिहासिक संस्कृति भी है और आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत हमारी सदियों पुरानी चोरी हुईं मूर्तियों, कलाकृतियों को विदेशों से वापस ला रहा है। आज का भारत विदेशों से रिकॉर्ड एफडीआई भी लेकर आ रहा है। आज एक ओर भारत अपने प्राचीन मंदिरों, सांस्कृतिक केंद्रों को पुनर्जीवित कर रहा है, तो साथ ही हम डिजिटल पेमेंट के मामले में वर्ल्ड लीडर भी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा लंबे समय से चली आ रही अपर भद्रा प्रोजेक्ट की मांग को भी पूरा किया जा रहा है। इससे तुमकूरु, चिकमगलूरु, चित्रदुर्ग और दावणगेरे सहित सेंट्रल कर्नाटक के बड़े सूखा प्रभावित क्षेत्र को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कन्नड़ बहुत समृद्ध साहित्य के साथ सुंदर भाषा है। वक्ताओं के साथ-साथ कन्नड़ भाषा के पाठक बड़ी संख्या में हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इतने सारे पुस्तकालय, रीडिंग रूम और कई अन्य पहल आपके द्वारा चलाई जा रही हैं। इन्हें और मजबूत किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय दुनिया अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स दिवस मना रही है, लेकिन कर्नाटक तो श्री अन्न का प्रमुख केंद्र रहा है। आज जब पूरा विश्व श्री अन्न के फायदों और इसकी जरूरत को समझ रहा है तो आने वाले समय में इसकी मांग भी बढ़ने वाली है। इससे कर्नाटक के छोटे किसानों का बहुत लाभ होने वाला है।