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इनकी कौन सुनेगा?

पाकिस्तानी अधिकारियों ने 190 हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया

इनकी कौन सुनेगा?
पाकिस्तानी अधिकारियों को डर था कि अगर ये लोग भारत पहुंच गए तो पाक की भारी किरकिरी होगी

यह विडंबना ही है कि आज हिंदुओं को उनके पूर्वजों की धरती (पाकिस्तान, बांग्लादेश) पर सताया जा रहा है। अविभाजित भारत के हिस्से रहे आज के पाक और बांग्लादेश में हिंदुओं पर क्या बीत रही है, इसकी चिंता न तो संयुक्त राष्ट्र संघ को है और न ही मानवाधिकारों पर लंबे-लंबे उपदेश देने वाले संगठनों को। 

पाकिस्तानी अधिकारियों ने 190 हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया। कहा तो यह जा रहा है कि वे अपनी यात्रा के मकसद को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, लेकिन असल वजह कुछ और है। पाकिस्तानी अधिकारियों को डर था कि अगर ये लोग भारत पहुंच गए तो पाक की भारी किरकिरी होगी। उधर, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश में शरारती तत्त्वों ने 14 हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की। वहां हिंदू खौफ के साए में हैं कि न जाने कब कोई झूठा आरोप लगाकर नफरत की आग भड़का दे, जिसके बाद पूरा समुदाय ही चपेट में आ जाए! 

आमतौर पर यह माना जाता है कि हिंदुओं के साथ ज्यादती पाकिस्तान में ही होती है। यह आधा सच है। पूरा सच यह है कि बांग्लादेश में भी हिंदुओं को बहुत सताया जाता है। वहां कई हिंदू कत्ल किए जा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन, संस्थाएं, पश्चिमी देशों की सरकारें आदि उनके लिए आवाज नहीं उठाएंगे। यह भारत सरकार और भारतवासियों का कर्तव्य है कि उनके लिए आवाज उठाएं। इन देशों में हिंदुओं के उत्पीड़न का खुलासा किया जाए। इनकी सरकारों पर दबाव बनाया जाए। 

निस्संदेह पाकिस्तान में जिस तरह सरकारी तंत्र हिंदुओं के प्रति निर्ममता बरतता है, वैसी स्थिति बांग्लादेश में नहीं है। बांग्लादेश की मौजूदा सरकार का रवैया काफी सहयोगात्मक है। उसके सामने भारत सरकार को हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाना चाहिए।

इन देशों में हिंदू ही नहीं, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध समुदाय के लोग भी उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। इनकी बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर गरीब लोग हैं। इनकी आवाज कहीं नहीं सुनी जाती। इनके लिए खुद का देश ऐसी जेल है, जहां कब, क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में जाएं तो कहां जाएं? 

स्वाभाविक है कि वे भारत से अपने पक्ष में आवाज सुनना चाहते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सिकंदरा थाना क्षेत्र में पुलिस ने तीन दर्जन से अधिक बांग्लादेशियों को पकड़ा है। ये सभी लोग एक कॉलोनी में खाली पड़ी जमीन पर झुग्गी डालकर रह रहे थे। घोर आश्चर्य है! जो लोग बांग्लादेश में सताए हुए हैं, उन्हें यहां आने में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जबकि भारत में कई बांग्लादेशी अवैध रूप से डेरा डाले बैठे हैं! अगर सख्ती से तलाश की जाए तो देशभर में अवैध बांग्लादेशी खूब मिल जाएंगे। 

हमारे घर में कोई आता है तो उसके बारे में जानकारी लेते हैं। क्या हमें यह मालूम नहीं होना चाहिए कि हमारे देश में किस देश के और कौन-कौन लोग रहते हैं? सरकार को ऐसे लोगों को चिह्नित करना चाहिए। जिन्हें खुद के देश में सुरक्षा संबंधी कोई खतरा नहीं है और यहां अवैध ढंग से घुसपैठ कर डेरा डाले बैठे हैं, उनकी मंशा क्या है? अगर ये अपराध कर फरार हो जाएं तो किसकी जिम्मेदारी होगी? भारत इनका बोझ क्यों उठाए?

इनकी धर-पकड़ होनी चाहिए और उचित सजा देकर स्वदेश रवाना कर देना चाहिए। ये लोग यहां संसाधनों पर कब्जा करते हैं। ये कालांतर में वोटबैंक बन जाते हैं, जिन्हें कुछ राजनीतिक दल हाथोंहाथ लेते हैं। भारत सरकार को इस मामले में सख्ती बरतनी होगी। जो असल में पीड़ित, शोषित हैं, उनके लिए आगमन सरल करना चाहिए। अवैध घुसपैठियों को निकाल कर बाहर करना चाहिए।

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